युवा शकती पर एक कवीता लीखे !
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कविता - 'युवा शक्ति का बल'
कविता - 'युवा शक्ति का बल'कवि - कर्नल कौशल मिश्र
तुम सोए हुए ना जाने क्यों,
क्यों सुप्त अवस्था है आई ।
उठो बैठो चैतन्य बनों ,
क्यों आलस्य है तुम पर छाई ।।
युवा पूर्ण हो जाने पर,
जो चाहो जो हो जाने का।
सब से सुन्दर है समय यह,
मनुष्य के सौ वर्षों का।।
जब बुद्धि प्रबल हो जाती है,
और शक्ति असीमित होती है ।
तब मंजिल स्वयम् चली आती,
उद्देश्य सफल हो जाता है ।।
गर युवा शक्ति सब मिल जाए,
असंभव भी संभव हो जाए ।
फिर दृश्य बदलते देर ना हो,
संपन्न देश फिर हो जाए ।।
यह देश अगर खुशहाल हुआ ,
हम सभी धन्य हो जाएंगे।
प्रतिभा युवा शक्ति की देख,
हैरान सभी हो जाएंगें।।
ना ज्ञान की कोई शिक्षा लो,
अधकचरे पंडित मुल्लाओं से ।
अपना विवेक जागृत करो ,
अपने अंदर की प्रतिभा से ।।
जब जामवंत ने चेताया ,
अन्जनी पुत्र चैतन्य हुए ।
फिर लांघ तुरन्त समुद्र गए,
लंकेश भी थे भयभीत हुए ।।
जब कृष्ण ने मार्ग प्रशस्त किया,
अर्जुन की युवा शक्ति जागी।
सब योद्धा किए धराशायी,
जब सुप्त हुई शक्ति जागी ।।
जब युवा शक्ति संगठित हुई,
तब देश स्वतन्त्र किया हमने।
वह शक्ति तुम्हारी ही तो थी,
जब घुटने टेके अंग्रेजों ने।।
सबसे अधिक युवा शक्ति,
विश्व में आज हमारी है।
अब विश्व अचंभित करने की,
कर ली हमने तैयारी है।।
उत्पन्न करो अब वह सब कुछ,
आत्मनिर्भर बन जाने को।
तुम शोध करो शान्ति हेतु,
विश्व बन्धुत्व जगाने को।।
इस धरती को प्रणाम करके,
सींचों इसको तुम तन मन से।
भर देगी हम सब की झाोली,
गर काम किया हमने फन से ।।
गर चले साथ साथ मिल कर,
तो विश्व गुरु हो जाएंगें ।
जो खोया है सदियों पहले,
वह पुन: प्राप्त कर पाएंगें ।।
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