Hindi, asked by mn071914, 10 months ago

yadi mai pakshi ho ​

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Answered by aqsashaikh223468
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यदि मैं पक्षी होता तो खुले आकाश में विचरण करता, भूमंडल में विचरण करता, इच्छानुसार भोजन करता और वृक्षों की शाखाएं मेरी शय्या होती। मेरा जीवन स्वतंत्र और स्वच्छंद होता। मानव देश-विदेश के भ्रमण के लिए तरसता है। पासपोर्ट बनवाने के लिए और वीजा के लिए रात-दिन एक कर देता हैं फिर भी वह भ्रमण का पूरा आनंद नहीं ले पाता है और न ही वह संसार की विविधता को पूरी तरह से देख पाता है। यदि मैं पक्षी होता तो मैं देशों की सीमाओं से न बंधा होता। बिना किसी पासपोर्ट और वीजा के ही मैं दुनिया घूमता।

होती सीमा हीन क्षितिज से, इन पंखों की होड़ा-होड़ी

या तो क्षितिज मिलन बन जाता, या तनती साँसों की डोरी।

यदि मानव पर कोई विपत्ति आ जाए तो आज उसके दुःख दर्द में कोई शामिल नहीं होता परन्तु यदि मैं पक्षी होता तो मेरी एक आवाज पर सैकड़ों पक्षी एकत्र होकर मेरे सुर में सुर मिलाकर इतना शोर मचा देते की मेरा दुःख-दर्द और मुसीबतें सब उड़न छू हो जातीं। यदि मैं पक्षी होता तो मनुष्य मेरे रंग-बिरंगे शरीर की आकृतियाँ अपने वस्त्रों पर बनाते मेरी मिट्टी, प्लास्टिक आदि की मूर्तियाँ बनाते और अपने घरों में सजाते। बच्चे मेरे जैसे दिखने वाले खिलौने से खेलते और मुझे बहुत ही ख़ुशी होती।

अगर मैं भी पक्षी होता तो मैं भी पेड़ों पर बैठकर चिल्लाता और अपने मधुर गान से हर किसी को मोहित कर देता।एक इंसान सिर्फ चल सकता है दौड़ सकता है लेकिन वह उड़ नहीं सकता क्योंकि भगवान ने उसे उड़ने के लिए पंख नहीं दिए हैं पक्षी उड़ कर कहीं भी आ जा सकते हैं अगर मैं पक्षी होता तो किसी भी अपने करीबी रिश्तेदार से आसानी से मिल सकता था।

जिस प्रकार काव्य तथा साहित्य में मोर की सुन्दरता तथा मीठी वाणी वाले को कोकिला की उपमा दी जाती है। लोभी को गिद्ध, ढोंगी को बगुला भगत, नीलकंठ को शिव, कबूतर को शान्ति का, बाज को वीरता तथा शौर्य का प्रतीक माना जाता हैं उसी प्रकार प्रकार मेरे लिए भी किसी न किसी उपमा का प्रयोग किया जाता और निश्चित ही यह मेरे लिए गर्व की बात होती।

यदि मैं पक्षी होता तो मैं मानव से मित्रता स्थापित कर उसका हित करता। छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़ों को खाकर फसल की रक्षा करता। परन्तु मैं पिंजड़े की कैद में कभी न आता। मुझे आजादी अत्यंत प्रिय है और सभी को होती है इसलिए मैं मनुष्यों को समझाता की किसी को भी कैद रखना गलत है। पक्षी बनने के पीछे एक प्रमुख वजह यह भी है की कुछ पक्षियों को देवताओं के वाहन होने का गौरव भी प्राप्त है। कितनी प्रसन्नता होती मुझे गरुड़ बनकर भगवान् विष्णु का, उल्लू बनकर देवी लक्ष्मी का, मोर बनकर कुमार कार्तिकेय का या फिर हँस बनकर ज्ञान की देवी माता सरस्वती का वाहन बनने में।

Answered by akanksha1435
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Explanation:

पक्षी मुझे सदा से ही आकर्षित करते हैं, रंग बिरंगे कोई हरा तो कोई नीला सब एक दूसरे से अलग व् न्यारे होते हैं। पक्षियों का हल्का शरीर उन्हें उड़ने में मदद करता है। कुछ पक्षी तो आकाश में अत्यंत ऊंचाई तक उड़ते हैं तो कुछ मात्र दो-चार फुट का फासला ही तय कर पाते हैं । पक्षियों का मधुर स्वर सभी को आकर्षित करता हैं. इसलिए मैं हमेशा से पक्षी बनना चाहती थी. जिससे दुनिया को एक नए नजरियें व आसमान की ऊंचाइयों से देख सकती. पक्षी की तरह आसमान में उड़ना हर व्यक्ति का सपना होता हैं और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए वह नित नए प्रयोग में लगा रहता हैं, हवाई जहाज, हेलीकाप्टर, पैराग्लाइडिंग इन्ही प्रयासों का फल हैं पर आज भी मानव एक आज़ाद पक्षी की तरह अपने पंख फैला आसमान में उड़ने के सपने को साकार नहीं कर पाया हैं.

पंछी, नदियाँ, पवन के झोंके, कोई सरहद ना इन्हें रोके

सरहद इंसानों के लिए है, सोचो, तुमने और मैंने क्या पाया, इन्सां होके

जावेद अख्तर द्वारा लिखा गया यह गीत मेरे मन को छू सा जाता हैं. सच ही तो है अगर मैं पक्षी होती तो खुले आकाश में अपने पंख फैला उड़ती रहती, जहाँ मन होता वह जाती और जब थक जाती तो किसी पेड़ की डाली को अपना बिस्तर बना पतियों के नरम सिरहाने पर सो जाती. मेरा जीवन स्वतंत्र और स्वच्छंद होता। ना तो पासपोर्ट बनवाने की चिंता होती और ना ही वीजा के लिए रात-दिन एक करना पड़ता।

यदि मैं पक्षी होती तो मेरी एक आवाज पर मेरे साथी पक्षी एकत्र होकर मेरे सुख दुःख में मेरा साथ देते, मानवों की तरह नहीं जो सिर्फ अपने मतलब से रिश्ते बनाता व बिगाड़ता हैं। पक्षी बन मैं अपने मधुर स्वर से सबको आकर्षित करती। पक्षी बन मैं प्रकृति से गहराई से जुड़ पाती। जहाँ थोड़ी सी हरियाली देखी वहीं अपना बसेरा बना लेती।

परन्तु मैं यह भी जानती हूँ की पक्षी बन कर भी मेरी जिंदगी आसान नहीं होगी।क्यूंकि इंसान जिस तरह से पेड़ों को काटता रहा हैं वह दिन दूर नहीं जब पक्षियों को उनके घोसले बनाने के लिए कोई उपयुक्त स्थान ही नहीं मिलेगा। मेरी सभी से यही प्रार्थना हैं की कृपया पेड़ों को ना काटे व पक्षियों को कैद करके ना रखे उन्हें खुले आसमान में अपने पंख फैला उड़ने दे, चहचाने दे। हो सके तो गर्मि यों के दिनों में अपनी छत पर एक पानी का बर्तन और कुछ अनाज के दाने रखे जिससे पक्षी अपनी भूख प्यास बुझा सके।

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