यह मजूर, जो जेठ मास के इस तनधूम अनल में
कमगमग्न हैअववकल दग्ध ह आ पल-पल में;
यह मजूर, स्जसके अुंर्ों पर शलपटी एक लैंर्ोटी;
यह मजूर, जजगर क हटया में स्जसकी वस धा छोटी;
ककस तप में तल्लीन यहााँहैभूख-प्यास को जीते,
ककस कठोर साधन में इसके य र् के य र् हैंबीते।
ककतने महा महाचधप आए, ह ए ववलीन क्षिततज में,
नहीुं दृस्टट तक डाली इसने, तनववगकार यह तनज में।
यह अववकुंप न जाने ककतने घूुंट वपए हैंववष के,
आज इसे देखा जब मैंने बात नहीुं की इससे।
अब ऐसा लर्ता है, इसके तप से ववश्व ववकल है,
नया इुंद्रपद इसके हहत ही तनस्श्चत है तनस्सुंिय।
क) महीने में अपने काम में लर्ा ह आ मजदूर क्या अन भव कर रहा है?
अ) वह पल पल र्मी से जल रहा है
आ) उस घर की याद आती है
इ) पैसे की तुंर्ी महसूस कर रहा है
ई) सस राल जाना चाहता है
ख) मजदूर की दीन-हीन दिा को कवव ने ककस तरह प्रस्त त ककया है?
अ) बडी माशमगकता से
आ) तन मन से
इ) व्याक ल होकर
ई) असहाय होकर
र्) मजदूर का पूरा जीवन कैसे बीता है?
अ) कहठन कठोर साधना में
आ) आराम म
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