Hindi, asked by ganga7888, 1 year ago

यह दंतुरित मुस्कान की व्याख्या लिखें

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Answered by kritanshu
4
अबोध शिशु ! तुम्हारे नेता तो की मुस्कुराहट मरते हुए भी जान डाल देने वाली है | तुम्हारे धूल लिपटे यह ध्यान पैसे लगते हैं जैसे तालाबों से निकलकर कमल मेरी झोपड़ी में खिल गए हो | ओ प्राण स्वरूप ! शिशु संभवत: तुम्हारी ही स्पर्श पाकर मेरे प्राणों का प्रसाण पीछल कर जल बन गया हो | तुम्हारे शरीर को छू कर ऐसा लगता है जैसे शेफाली के फूल झड़ने लगे यानी मन आनंद से झूम उठा | तुम मुझे पहचान सके हो कि मेरा पर्स पर्स पर्स अथवा बबूल जैसा किसी प्रकार का था | यहां पास और बबूल कहने से कवि का आशय कोमल शिशु की तुलना में उसकी अपनी कठोरता से हैं | क्या तुम मुझे एकटक देखते ही रहोगे | यदि तुम थक गए हो तो मैं अपनी नजरें तुम पर से हटा देता हूं | कोई बात नहीं यदि तुम से मेरा परिचय एक बार में ना हो सका | मैं तुम्हारी मां का आभार मानता हूं | जिसके कारण तुम्हारा जीवन संभव हुआ और मैं तुम्हारे नवजीवन को देख और जान पाया | ओ शिशु ! तुम्हारी यह नए-नए दांतो की मुस्कान नए जीवन का संदेश देती है |
Answered by Stylishhh
2

Answer:

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अबोध शिशु ! तुम्हारे नेता तो की मुस्कुराहट मरते हुए भी जान डाल देने वाली है | तुम्हारे धूल लिपटे यह ध्यान पैसे लगते हैं जैसे तालाबों से निकलकर कमल मेरी झोपड़ी में खिल गए हो | ओ प्राण स्वरूप ! शिशु संभवत: तुम्हारी ही स्पर्श पाकर मेरे प्राणों का प्रसाण पीछल कर जल बन गया हो | तुम्हारे शरीर को छू कर ऐसा लगता है जैसे शेफाली के फूल झड़ने लगे यानी मन आनंद से झूम उठा | तुम मुझे पहचान सके हो कि मेरा पर्स पर्स पर्स अथवा बबूल जैसा किसी प्रकार का था | यहां पास और बबूल कहने से कवि का आशय कोमल शिशु की तुलना में उसकी अपनी कठोरता से हैं | क्या तुम मुझे एकटक देखते ही रहोगे | यदि तुम थक गए हो तो मैं अपनी नजरें तुम पर से हटा देता हूं | कोई बात नहीं यदि तुम से मेरा परिचय एक बार में ना हो सका | मैं तुम्हारी मां का आभार मानता हूं | जिसके कारण तुम्हारा जीवन संभव हुआ और मैं तुम्हारे नवजीवन को देख और जान पाया | ओ शिशु ! तुम्हारी यह नए-नए दांतो की मुस्कान नए जीवन का संदेश देती है |

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