यह यह धरती जितनी हमारी है उतनी ही जानवरों की
essay
Answers
Answer:
Explanation:
जंगलों के खत्म होने और जानवरों के रहने की जगह कम होना ही उनकी विलुप्ति का मुख्य कारण है. और बाकी नुकसान जलवायु परिवर्तन के खाते में जाता है, इससे ज्यादा नुकसान ठंडे प्रदेशों में रहने वाले प्राणियों पर होता है. कई बार सीधे ही इंसान इन जानवरों की जान का दुश्मन बन जाता है. दुर्लभ जानवर एशिया अफ्रीका में खाने की प्लेट में सज जाते हैं. रात में अफ्रीका में जब बया पेड़ों पर सोती हैं तो उन पेड़ों को ही जला दिया जाता है ताकि को नुकसान न पहुंचे. फिलहाल पश्चिमी अफ्रीका में हाथियों की संख्या बहुत बढ़ रही है. और यौन उत्तेजना बढ़ाने वाली दवाइयों के लालच में गैंडों की हत्या तभी रुक सकती है जब उनकी हथियारबद्ध देख रेख हो सकेगी.
तो कुल मिला कर इन जानवरों को संरक्षित करने, बचाने का एक ही तरीका बचता है और वह है चिड़ियाघर या फिर राष्ट्रीय वन्य उद्यान. लेकिन आलोचकों का कहना है कि यहां भी जानवरों की रक्षा नहीं, बल्कि उनके साथ अत्याचार ही होता है. जानवरों की रक्षा के लिए बने संगठन पेटा (पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑप एनिमल्स) ने जर्मनी की अर्थशास्त्र मंत्री इल्से आइगनर से मांग की थी कि बाघ को पिंजरे में न रखा जाए. पेटा के कर्मचारी पेटर होएफकन कहते हैं, अगर बाघ के पास मनुष्य पर हमला करने या उससे बचने की संभावना होती है तो वह ऐसा करता है. होएफकन कहते हैं कि बार बार चिंपाजियों या जिराफ का बाहर निकल आना इस बात को साबित करता है कि जानवर बाहर जाना चाहते हैं. उनके लिए चिड़ियाघर का मतलब है, बहुत जयादा सुरक्षा वाली जेल.
Hyyy I will help you ✌️
पृथ्वी पर किसी समय जीवित रहने वाले अति प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों या उनके द्वारा चट्टानों में छोड़ी गई छापों को जो पृथ्वी की सतहों या चट्टानों की परतों में सुरक्षित पाये जाते हैं उन्हें जीवाश्म (जीव + अश्म = पत्थर) कहते हैं। जीवाश्म से कार्बनिक विकास का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। इनके अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी कहते हैं। विभिन्न प्रकार के जीवाश्मों के निरीक्षण से पता चलता है कि पृथ्वी पर अलग-अलग कालों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जन्तु हुए हैं। प्राचीनतम जीवाश्म निक्षेपों में केवल सरलतम जीवों के अवशेष उपस्थित हैं किन्तु अभिनव निक्षेपों में क्रमशः अधिक जटिल जीवों के अवशेष प्राप्त होते हैं। ज्यों-ज्यों हम प्राचीन से नूतन कालों का अध्ययन करते हैं, जीवाश्म जीवित सजीवों से बहुत अधिक मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। अनेक मध्यवर्ती लक्षणों वाले जीव बताते हैं कि सरल रचना वाले जीवों से जटिल रचना वाले जीवों का विकास हुआ है। अधिकांश जीवाश्म अभिलेखपूर्ण नहीं है परन्तु घोड़ा, ऊँट, हाथी, मनुष्य आदि के जीवाश्मों की लगभग पूरी श्रृंखलाओं का पता लगाया जा चुका है जिससे कार्बनिक विकास के ठोस प्रमाण प्राप्त होते हैं।