Yamak aur shlesh alankar mai antar
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यमक अलंकार -
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
ex- कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।
(यहाँ पर कनक के अर्थ हैं धतूरा और सोना।)
श्लेष अलंकार -
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।
ex - रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
{यहाँ पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थचमकया कान्ति मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत(सम्मान) चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थसाधारण पानी(जल) है।}
जब एक शब्द का प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है।
ex- कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय, या खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।
(यहाँ पर कनक के अर्थ हैं धतूरा और सोना।)
श्लेष अलंकार -
जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है पर उसके एक से अधिक अर्थ निकलते हैं तब श्लेष अलंकार होता है।
ex - रहिमन पानी राखिये,बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरै, मोती मानुष चून।।
{यहाँ पानी का प्रयोग तीन बार किया गया है, किन्तु दूसरी पंक्ति में प्रयुक्त पानी शब्द के तीन अर्थ हैं - मोती के सन्दर्भ में पानी का अर्थचमकया कान्ति मनुष्य के सन्दर्भ में पानी का अर्थ इज्जत(सम्मान) चूने के सन्दर्भ में पानी का अर्थसाधारण पानी(जल) है।}
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