यमक अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित
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उदा.
ज्ञान का वह ज्ञानी । पूर्ण समाधनी ।।
निःसंदेह उसकी मानी । उसकी पूज्यवाणी ।।
' नी ' शब्द का यमक उच्चार..
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'यमक' का शाब्दिक अर्थ है 'जोड़ा'। "वहै शब्द पुनि-पुनि परै अर्थ भिन्न- ही-भिन्"। अर्थात जब कविता में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है किंतु हर बार अर्थ भिन्न होता है, वहां यमक अलंकार होता है।
काली घटा का घमंड घटा।
स्पष्टीकरण:- यहाँ घटा शब्द दो बार आया है। दोनों जगह अर्थ में भिन्नता है।
घटा:- वर्षाकालीन घुमड्ती हुई बादलों की माला।
घटा:- कम हुआ।
•जब एक ही वाक्य में किसी एक शब्द का प्रयोग दो या अधिक बार हो पर दोनो बार उसके अर्थ भिन्न भिन्न निकले, वहाँ यमक अलंकार होता है। उद्धरण -
•तीन बेर खाती थी, वे तीन बेर खाती हैं।
•माला फेरत जग गया, फिरा न मन का फेर। कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
•कहे है कवि बेनी बेनी ब्याल की चुराई लीनी
•जेते तुम तारे तेते नभ में न तारे हैं।
•केकी रव की नुपुर ध्वनि सुन, जगती जगतीकी मूक प्यास।
•उधौ जोग जोग हम नाही।
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