यमराज-सहोदरः कः अस्ति?
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यमराज- सहोदरः वैद्यराजः अस्ति।
श्लोक:
वैद्यराज नमस्तुभ्यं यमराजसहोदर:।
यमस्तु हरति प्राणान्वैद्यः प्राणान्धनानि च।।
सरलार्थ एवं व्याख्या:-
प्रस्तुत सुभाषित 'वैद्यप्रशंसा' शीर्षक से संकलित है | इस में एक आदर्श चिकित्सक के गुणों का वर्णन किया गया है | 'कुवैद्योपहास ' शीर्षक के अन्तर्गत उसे यमराज का सहोदर तक कह दिया गया है।
जिसने अपने गुरुओं से संपूर्ण चिकित्सा विज्ञान सीखा हो शल्यक्रिया करने में इतना कुशल हो कि मानो उसके हाथों में मृतक को भी जीवित करने वाला अमृत हो , ईर्ष्या से रहित, धैर्यवान, दयालु और सरल स्वभाव वाला हो , वही वैद्य वास्तव में एक आदर्श वैद्य होता है |
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