Yashodhar babu dwara prayukt samhaau imprapr wakyash se inke wyaktitva ke sambandh m kya pta chlta h
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Answer:
इस वाक्यांश का उनके व्यक्तित्व और कहानी के कथ्य से बहुत गहरा संबंध है। यह उनके मन में चल रहे द्वंद्व की स्थिति को दर्शाता है। वह हमेशा अनिर्णय की स्थिति में रहते हैं। इस वाक्य के माध्यम से वह अपने आसपास हो रहे बदलावों को अपनाए या न अपनाए की स्थिति का पता चलता है। मनुष्य को चाहिए कि वह हो रहे बदलावों के साथ स्वयं का तालमेल बिठाए। लेकिन यशोधर बाबू जैसे लोग हो रहे बदलावों को अपनाना चाहते भी हैं और उनके प्रति नकारात्मकता का भाव भी रखते हैं। यह स्थिति उनके इस कथन से स्पष्ट हो जाती है। अतः इस कथन को वह आरंभ से लेकर अंत तक कई बार बोलते हैं। इस तरह कहानी दो पीढ़ियों के मध्य हो रहे ठकरावों को भी दर्शाती है और उनके मध्य गहरी होती खाई को भी स्पष्ट करती है।
Explanation:
यशोधर बाबू का व्यक्तित्व नये जमाने के साथ तालमेल न बिठा पाने वाला है। वह अधिकांश नये बदलावों से असंतुष्ट होते हैं। वह हर चीज का मूल्यांकन अपनी सोच के आधार पर करते हैं।कहानी का कथ्य भी समाज के उस व्यक्तित्व को उभारता है, जो पुराने मूल्यों एवं आदर्शो से जुड़ा हुआ है। कहानीकार ने यशोधर बाबू के बेटे बेटी और उनकी पत्नी के माध्यम से नये जमाने की सोच को दर्शाया भी है। ऑफिस के सहयोगियों के माध्यम से नयी सोच का पता चलता है। इन सारी स्थितियों में यशोधर बाबू जिन घटनाओं या बातों से तालमेल नहीं बिठा पाते हैं या जिन बातों को सहज ढंग से स्वीकार नहीं कर पाते हैं, उन्हें वे ‘समहाउ इंप्रापर’ कहकर अभिव्यक्त करते हैं। इस तरह की इतनी अधिक स्थितियाँ उनके सामने आती हैं कि यह वाक्यांश उनका जुमला बन जाता है। यह वाक्यांश उनके असंतुलन एवं असहज व्यक्तित्व को अर्थ प्रदान करता है।कहानी के अंत में यशोधर जी के व्यक्तित्व की सारी विशेषता उभरती है। नये जमाने और पुरानी पीढ़ी के बीच का अंतर स्पष्ट होता है। इस तरह इस वाक्याश से हमे यह भी पता चलता है कि नये जमाने के हिसाब से यशोधर जी स्वयं ‘समहाउ इंप्रापर’ हो गय हैं। कहानी का मूल कथ्य भी नयी पीढ़ी और पुरानी पीढ़ी के बीच के इसी अंतर को स्पष्ट करता है।
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