यदि अपको कोइ चॉकलेट या खिलौना का लालच देकर अपने साथ चलने के लिए कहे तो आप क्या करेंगे और क्योंं
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Mai to na bolungi because aaj ki duniya me kisi par bharosa karna bahut mushkil jai.Kise kya ki kab kya ho jaye.
rajthegreat17:
bekar answer
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बच्चे को किसी काम के लिए लालच न दें
बच्चों को किसी भी काम को करने के लिए लालच देना ठीक नहीं होता. इससे उनमें एक गलत आदत विकसित होती है.
आमतौर पर देखा जाता है कि अभिभावक अपने बच्चे को इस बात का लालच देते हैं कि अगर तुम समय पर अपना होमवर्क समय पर कर लोगे या फिर अपनी हॉबी क्लास में अच्छे से सीखोगे, तो तुम्हें चॉकलेट दिलाएंगे या फिर तुम्हारा पसंदीदा खिलौना खरीद देंगे. कभी-कभार के लिए तो यह ठीक है, पर जब यह रोज की आदत बन जाए, तो ऐसे में बच्चे के लिए अपने काम को सही तरीके से कर पाना कठिन होता है. काम की बजाय उसका पूरा ध्यान काम खत्म होने पर मिलने वाली चीजों में ही लगा रह जाता है, जिसकी वजह से वो अपना काम निपटाने वाले अंदाज में करता है. बच्चे में पनपती यह आदत धीरे-धीरे उसकी रचनात्मकता को भी समाप्त कर देती हैं.
क्षमता से अधिक बोझ न डालें
अपने बच्चे को परफेक्ट बनाने के चक्कर में बहुत सारी चीजें करने के लिए उस पर दबाव ना बनाएं. आपका बच्चा सारी चीजों में परफेक्ट हो जाए, इसकी अपेक्षा ना करें. यह जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा पढ़ाई में अच्छा है, अच्छी ड्रॉईंग करता है, स्पोर्ट्स में अच्छा है, तो वो अच्छा गाना भी गाएगा और डांस भी कर लेगा. अपने बच्चे को उतना ही करने दें, जितना वो सहजता से कर पाए. बहुत सारे के चक्कर में वो कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाएगा.
अपनी पसंद ना थोपें
छोटे से बच्चे पर अपनी पसंद ना थोपें. उसे वो काम करने दें, जो करना उसे पसंद है. अगर वो डांस क्लास या वॉलीबॉल की क्लास में नहीं जाना चाहता है, तो उसके दोस्त ऐसा कर रहे हैं, यह सोचकर आप उसे भी ऐसा करने के लिए मजबूर ना करें. अगर उसका मन घर में बैठकर कलरिंग करने का है या फिर वह टीवी पर थोड़ी देर के लिए अपना पसंदीदा कार्टून देखना चाहता है, तो इसके लिए आप उसे मना ना करें. अगर आपके पास समय है, तो उसके साथ बैठकर वो काम करें, जिसमें उसे मजा आ रहा हो. उसे बातों-बातों में जिंदगी के बारे में अच्छी बातें बताएं.
इन बातों का रखें ध्यान
बच्चे में किसी भी काम को रचनात्मक तरीके से करने की भावना तभी आएगी, जब उसके अंदर हार का डर नहीं होगा. अभिभावक के तौर पर यह आपका दायित्व है कि अपने बच्चे के अंदर सफलता और असफलता को लेकर सही सोच विकसित करें. अपने बच्चे के अंदर असफलता से भी सीखने का भाव भरें.
अपने बच्चे को पूरा समय दें. भले ही आप कितनी भी व्यस्त क्यों ना हों, दिन का कुछ समय सिर्फ अपने बच्चे के लिए रखें. इस समय में आप उसके मन में उठने वाली जिज्ञासाओं को शांत करें. उसके छोटे-छोटे सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दें. उसे अच्छी कहानियां सुनाएं, इससे आपके बच्चे की रचनात्मकता बढे़गी.
अपने बच्चे से इस बात की उम्मीद न करें कि वो किसी भी काम को एक ही समय में पूरा कर लेगा. उसे काम पूरा करने के लिए वक्त दें.अपने बच्चे के किसी काम की अवहेलना न करें. तुमने तो सारा खराब कर दिया जैसी बातें भूलकर भी ना करें. अगर कोई चीज खराब हो गई है, तो उससे कहें कि कोई बात नहीं, अगली बार ध्यान रखना.
बच्चों को किसी भी काम को करने के लिए लालच देना ठीक नहीं होता. इससे उनमें एक गलत आदत विकसित होती है.
आमतौर पर देखा जाता है कि अभिभावक अपने बच्चे को इस बात का लालच देते हैं कि अगर तुम समय पर अपना होमवर्क समय पर कर लोगे या फिर अपनी हॉबी क्लास में अच्छे से सीखोगे, तो तुम्हें चॉकलेट दिलाएंगे या फिर तुम्हारा पसंदीदा खिलौना खरीद देंगे. कभी-कभार के लिए तो यह ठीक है, पर जब यह रोज की आदत बन जाए, तो ऐसे में बच्चे के लिए अपने काम को सही तरीके से कर पाना कठिन होता है. काम की बजाय उसका पूरा ध्यान काम खत्म होने पर मिलने वाली चीजों में ही लगा रह जाता है, जिसकी वजह से वो अपना काम निपटाने वाले अंदाज में करता है. बच्चे में पनपती यह आदत धीरे-धीरे उसकी रचनात्मकता को भी समाप्त कर देती हैं.
क्षमता से अधिक बोझ न डालें
अपने बच्चे को परफेक्ट बनाने के चक्कर में बहुत सारी चीजें करने के लिए उस पर दबाव ना बनाएं. आपका बच्चा सारी चीजों में परफेक्ट हो जाए, इसकी अपेक्षा ना करें. यह जरूरी नहीं है कि आपका बच्चा पढ़ाई में अच्छा है, अच्छी ड्रॉईंग करता है, स्पोर्ट्स में अच्छा है, तो वो अच्छा गाना भी गाएगा और डांस भी कर लेगा. अपने बच्चे को उतना ही करने दें, जितना वो सहजता से कर पाए. बहुत सारे के चक्कर में वो कोई भी काम ठीक से नहीं कर पाएगा.
अपनी पसंद ना थोपें
छोटे से बच्चे पर अपनी पसंद ना थोपें. उसे वो काम करने दें, जो करना उसे पसंद है. अगर वो डांस क्लास या वॉलीबॉल की क्लास में नहीं जाना चाहता है, तो उसके दोस्त ऐसा कर रहे हैं, यह सोचकर आप उसे भी ऐसा करने के लिए मजबूर ना करें. अगर उसका मन घर में बैठकर कलरिंग करने का है या फिर वह टीवी पर थोड़ी देर के लिए अपना पसंदीदा कार्टून देखना चाहता है, तो इसके लिए आप उसे मना ना करें. अगर आपके पास समय है, तो उसके साथ बैठकर वो काम करें, जिसमें उसे मजा आ रहा हो. उसे बातों-बातों में जिंदगी के बारे में अच्छी बातें बताएं.
इन बातों का रखें ध्यान
बच्चे में किसी भी काम को रचनात्मक तरीके से करने की भावना तभी आएगी, जब उसके अंदर हार का डर नहीं होगा. अभिभावक के तौर पर यह आपका दायित्व है कि अपने बच्चे के अंदर सफलता और असफलता को लेकर सही सोच विकसित करें. अपने बच्चे के अंदर असफलता से भी सीखने का भाव भरें.
अपने बच्चे को पूरा समय दें. भले ही आप कितनी भी व्यस्त क्यों ना हों, दिन का कुछ समय सिर्फ अपने बच्चे के लिए रखें. इस समय में आप उसके मन में उठने वाली जिज्ञासाओं को शांत करें. उसके छोटे-छोटे सवालों का धैर्यपूर्वक जवाब दें. उसे अच्छी कहानियां सुनाएं, इससे आपके बच्चे की रचनात्मकता बढे़गी.
अपने बच्चे से इस बात की उम्मीद न करें कि वो किसी भी काम को एक ही समय में पूरा कर लेगा. उसे काम पूरा करने के लिए वक्त दें.अपने बच्चे के किसी काम की अवहेलना न करें. तुमने तो सारा खराब कर दिया जैसी बातें भूलकर भी ना करें. अगर कोई चीज खराब हो गई है, तो उससे कहें कि कोई बात नहीं, अगली बार ध्यान रखना.
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