Hindi, asked by rajendranagesh05, 5 months ago

यदि कांच और जल के आपेक्षिक आपवरतनाक क्रमशः 3/2 एवं 4/3 है तो जल और कांच में प्रकाश की चाल का अनुपात ज्ञात कीजिए​

Answers

Answered by Sasmit257
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Explanation:

विमडलता से सब पररवचत ैं|

विश्व की प्रमुख सिंस्कृवतयों का जन्म बड़ी-बड़ी िवदयों केवकिारे ी ुआ ै|

िल के िीचेि ािेऔर जलाशय मेंर्ुबकी लगािेमेंजमीि- आसमाि का अिंतर ै|

आज सिडत्र स स्रों व्यवि प्रवतवदि सागरों ,िवदयों ,झीलों मेंतैराकी का आििंद उठाते ैंएििंशरीर को भी स्िस्थ रखते ैं|

स्िच्छ तथा शीतल जल मेंतैरिा ति को स्फूवतडि मि को शािंवत प्रदाि करता ै|

आज तैराकी एक कला के रूप में वगिी जािे लगी ै |विश्व में जो भी खेल प्रवतयोवगताएिंआयोवजत की जाती ैंउि में तैराकी प्रवतयोवगता अवििायड रूप सेसवम्मवलत की जाती ै|तैराकी व्यायाम ै और खेल तथा मिोरिंजि का वप्रय साधि भी ै| यािी आम केआम गुठवलयों के दाम |यवद आप तैरिा जािते ैं तो िदी वकिारे खड़े ोकर थोड़ी भी प्रतीक्षा करिे की जरूरत ि ीं| तैरकर िदी पार कीवजए और स्िास््य भी बिाइए साथ ी साथ कला मेंविपुण ोकर तैराकी प्रवतयोवगताओिंमेंभाग लेकर आप विजय और ख्यवत का अपार आििंद भी प्राप्त कर सकते

इस समय देश में धर्म की धूम है, धर्म और ईमान के नाम उत्पाद किए जाते हैं, रमुआ पासी और बुधू मियाँ धर्म

और ईमान को जानें या न जाने, परंतु उसके नाम पर उबल पड़ते हैं, और जान लेने और जान देने के लिए तैयार

हो जाते हैं। देश के सभी शहरों का यही हाल है। बल पड़ने वाले साधारण आदमी का इसमें केवल इतना ही दोष

है कि वह कुछ भी नहीं समझता-बूझता और दूसरे लोग उसे जिधर जोत देते हैं उधर जुत जाता है। यथार्थ दोष है,

कुछ चलते-पुर्जे, पढ़े-लिखे लोगों का, जो मूर्ख लोगों की शक्तियों और उत्साह का दुरुपयोग इसलिए कर रहे हैं

कि इस तरह उनका नेतृत्व और बड़प्पन कायम रहे। इसके लिए धर्म और ईमान की बुराइयों से काम लेना उन्हें

सुगम जान पड़ता है। सुगम है भी। साधारण-से-साधारण आदमी तक के दिल में यह बात अच्छी तरह बैठी

हुई है कि धर्म और ईमान की रक्षा के लिए प्राण तक दे देना वाजिब है। बेचारा साधारण आदमी धर्म के तत्त्वों कोl

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