यदि मोबाइल न होता तो पर स्पीच
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मोबाइल ना होता तो मानवीय रिश्ते आज मरणासन्न नहीं होते,लोग संवेदना से रिक्त ना होते,लोग इतने अधिक औपचारिक,स्वार्थी और भावना शून्य ना होते। मोबाइल ना होते तो मैदान और बागीचे,उद्यान बच्चों से खाली ना होते,घर में अकेलेपन से जूझते बुज़ुर्ग भी नहीं होते। मोबाइल ना होता तो इन्सान इतना कृत्रिम ना होता।
Explanation:
मोबाइल न होता तो इतने किशोर किशोरी दिमागी रूप से बीमार नहीं पड़ते क्योंकि आज के समय में ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर इतने बिजी रहते हैं कि वे दिमागी रूप से बीमार पड़ चुके हैं।
२. मोबाइल न होता तो लोग इस हद तक अश्लीलता न देख पाते न फैला पाते क्योंकि 10 या 12 साल के बच्चे जिज्ञासा बस कई एक अश्लीलता भरी सामग्रियों को मोबाइल के द्वारा जमकर देखते हैं यहां तक कि उसकी ओर आकर्षित होते हैं और जब वे 15 वर्ष पार करते हैं तो इस विषय पर जानने के लिए मोबाइल का सहारा लेते हैं जहां पर अच्छी जानकारी तो कोई नहीं मिलती बल्कि वे जो देखते हैं वही करने के बारे में सोचने लगते हैं और जो कुछ उन्हें शादी के बाद करना चाहिए वह विवाह से पहले ही करने लगते हैं यह मत सोचना कि क्या मोबाइल नहीं था तो पहले क्या यह सब नहीं होता था, होता था लेकिन उसकी संख्या कम थी मोबाइल न होता तो नई पीढ़ी का चारित्रिक रूप से इतना पतन नहीं होता।
३. मोबाइल नहीं होता तो एक लड़के के मांगने पर एक लड़की अपनी अश्लील फोटो नहीं भेज पाती लड़के उन्हें इतना ब्लैकमेल नहीं कर पाते जब मिलना होता है तब फोन से सही जगह बताकर मिल लेते हैं यदि फोन न होता तो मिलने के लिए काफी समय लग जाता और मिलकर जो रोज हो जाता है वह कहीं साल 6 महीने में हो पाता।
४.आज के समय में किसी से थोड़ी भी लड़ाई झगड़ा या मनमुटाव हो जाता है तो तुरंत अपने अपने रिश्ते नातों में लाइव टेलीकास्ट कर दिया जाता है जिससे स्थितियां बिगड़ जाती हैं और बताने वाले का गुस्सा तो शांत हो जाता है किंतु जिसे वह बता देता है वह लड़ने के लिए चला आता है यदि मोबाइल नहीं होता तो इतने रिश्ते भी बर्बाद नहीं होते संबंध भी इतने खराब नहीं होते जो आग तुरंत लगा दी जाती है वह आग लगने में समय लगता।
५. कोई समय था जब पति का संदेश पाने के लिए पत्नी महीनों इंतजार करती थी और पत्नी का पत्र पाने के लिए पति महीनों इंतजार करता था वही खुशी ही कुछ और थी पत्र आने का इंतजार बना रहता था एक दूसरे के दिलों का हाल जानने के लिए बेताब रहते थे और अब मोबाइल होने के बाद पल-पल की निरर्थक बातें की जाती हैं बातें करते-करते इंसान ऊब जाता है और इतना एक दूसरे से लगाव भी नहीं रहता छोटी-छोटी बातों पर मोबाइल पर ही कहासुनी होने लगती है और रिश्ते खराब हो जाते हैं।