Hindi, asked by Praptivandra, 10 hours ago

यदि मैं पुस्तक होती ये उस विषय पर अपने विचार लिए ​

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Answered by Surshti123
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यदि मैं एक पुस्तक होती तो सभी के न केवल बोरियत को मारने और अकेलेपन की भावना से बचने में मदद करने का प्रयत्न करता बल्कि ज्ञान भी प्रदान करता। इसमें कोई संदेह नहीं कि, जो मनुष्य अलग तरह की किताबें पढ़ता है और नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करता है, वह अच्छी तरह से सीखता है। वह न्यायसंगत कहलाता है।

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