Hindi, asked by parabvaishnavi794, 1 year ago

'यदि मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो' विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लेखन कीजिए ।



Plzzzzzzzzzz help me


jugnoogupta1975: Hi I am here
jugnoogupta1975: My sis
parabvaishnavi794: Hello
jugnoogupta1975: Your good name
parabvaishnavi794: Thanks.... Hey message me than commenting
DetectiveShinchiKudo: Hello

Answers

Answered by jugnoogupta1975
48

चाँद पर मेरा घर” यह कल्पना कितनी अच्छी है न। अगर सच में ऐसा हो जाए तो मैं तो बहुत बहुत खुश होऊँगा। वैसे भी पृथ्वी के बढ़ते तापमान की वजह से पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ गई है। ऑक्सीजन का स्तर कम हो रहा है। बढ़ते प्रदूषण के कारण नई-नई बीमारियों का सामना मनुष्य को करना पड़ रहा है। अगर मैं चाँद पर रहूँगा तो इन सब परेशानियों से मुझे छुटकारा मिलेगा।

तारों तथा ग्रहों को नजदीक से देख सकूँगा। चाँद के साथ मिलकर मैं भी पृथ्वी के चक्कर काटूँगा। थोड़ी परेशानी तो होगी। मुझे कूद-कूद कर बंदर की तरह भी चलना पड़ेगा। जब मेरा घूमने का मन करेगा तो मैं अपनी धरती की सेर करने आऊँगा।


parabvaishnavi794: like what?
jugnoogupta1975: You say
jugnoogupta1975: What happened
parabvaishnavi794: Nothing happened dude...... but Which account are u talking about?
jugnoogupta1975: Media
DetectiveShinchiKudo: Hello
jugnoogupta1975: Hi
parabvaishnavi794: Junoo give ur whts number then
parabvaishnavi794: If I will be free then I'll text u maybe
Answered by ajjubhai9429
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Answer:

एक दिन बैठे-बैठे मैं सोच रहा था कि यदि मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो कितना अच्छा होता | मुझे सभी प्रकार के ग्रह देखने को मिलते और वह भी कितने निकट से,यह सोच-सोच कर मुझे रोमांच होने लगा | वर्तमान समय में अंतरिक्ष में यान भेजने का चलन बढ़ा है।मैं यह सोचने लगा कि यदि मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो मैं घर बैठे समस्त अंतरिक्ष को जान लेता | मैं सभी ग्रहों को बगैर कोई दूरी तय किए पास से देख पाता | चांद को मैं छू लेता, मंगल ग्रह को देखता इस प्रकार के अन्य सभी ग्रहों को मैं देखकर ही जान लेता कि किसके कितने चंद्रमा है?, और उन सभी को मैं छू लेता यह सब सोचकर मैं रोमांचित हो उठा। एकाएक मुझे ध्यान आया कि "अन्तरिक्ष क्या है?" किसी ब्रह्माण्डीय पिण्ड, जैसे पृथ्वी, से दूर जो शून्य (void) होता है उसे अंतरिक्ष कहते हैं। यह पूर्णतः शून्य तो नहीं होता किन्तु अत्यधिक निर्वात वाला क्षेत्र होता है जिसमें कणों का घनत्व अति अल्प होता है |" अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, निर्वात होता है । तब तो मुझे हवा में उड़ना पड़ता है और जहां तक मुझे अंतरिक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त हुई थी उसके अनुसार प्रत्येक काम करने के लिए बड़ी तकलीफ होती है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण ना होने के कारण कोई ऐसा धरातल नहीं मिल पाता जिसमें कि मैं खड़े हो सकता या टिक सकता | यह सोच कर मेरा सारा रोमांच छूमंतर हो गया। वैसे भी जितना पानी, भोजन और अन्य आवश्यकताएं मुझे पृथ्वी में मिलती है वह अंतरिक्ष पर कहां। अब मेरे विचारों की दिशा बदल चुकी थी | मुझे अंतरिक्ष में घर होने की कल्पना से भी डर लगने लगा । वहां ना तो कोई बाजार या दुकान होगी और ना ही कोई रौनक। मैं दूरी कैसे तय करूंगा ? क्या मैं उड़ कर जाऊंगा ? सामान किस प्रकार से ले पाउँगा ? एक काम करने के लिए जहां मुझे 5 मिनट लगते वहांँ मुझे 50 मिनट लगेंगे ऐसे अंतरिक्ष से तो मेरी पृथ्वी ही भली । यहां मेरे सभी मित्र मुझे जब चाहे तब उपलब्ध है | वहां थोड़ेे ही सब मुझे मिलेंगे? अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण न होने के कारण अंतरिक्ष यात्री भोजन पर नमक या मिर्च नहीं छिड़क सकते। वे भोजन भी द्रव्य के रूप में लेते है, ऐसा इसलिए है क्योकीं सूखे भोजन हवा में तैरने लगेगें और इधर उधर टकराने के साथ ही अंतरिक्ष यात्री की आंख में भी घुस सकता है। मुझे स्वाद रहित भोजन करना होगा । वहाँ ठीक से सो भी नही सकते | हवा में तैरता आदमी क्या खाक सोयेगा ? इस तरह अब मुझे ज्ञान होने लगा कि मैं मेरी पृथ्वी पर ही ठीक हूँ | अंतरिक्ष पर घर होने की कल्पना, कल्पनाओं मे ही अच्छी लगती है वो कहते है ना ----" दिल बहलाने के लिए ग़ालिब ख़याल अच्छा है "|

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