यदि में शिक्षक होता पर अनुच्छेद
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yadi m shikshak hota to bachon ko achi shikshyan deta unhe pdata or unhe h achi baat sikhata.....
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हर मनुष्य की कुछ न कुछ इच्छा होती है| देख गया है कि मनुष्य सोचता है बहुत कुछ , मगर होता वही है जो परमेश्वर चाहता है| अन्य लोगों के समान ही मेरी भी एक अभिलाषा है, मैं एक आदर्श शिक्षक बनना चाहता हूँ| ईश्वर यदि मेरी अभिलाषा पूरी कर दे, तो मैं अपने को भाग्यशाली समझूँगा|
मेरे शिक्षक बनने की इच्छा का कारण एक ही है| वही है अपने समाज में फैली निरक्षरता को दूर करना| हमारा भारत देश एक स्वतन्त्र देश है| आजादी मिले करीब ६५ साल हो गए मगर आज भी अपने देश में अशिक्षा का बोल-बाला है| शहरों में तो बच्चों को शिक्षित करने के लिए छोटे-बड़े विद्यालय हैं, मगर देहातों में पढाई के साधन बहुत ही कम हैं |अच्छे विद्यालयों की कमी अभी भी बनी हुई है| थोड़े बहुत विद्यालय जो हैं भी, उनकी ठीक व्यवस्था नहीं है| अधिकतर ग्राम वासी अनपढ़ हैं| उन्हें अभी शिक्षा का मूल्य मालूम नहीं है| वे अपने बच्चों को स्कूल भेजने में दिलचस्पी नहीं रखते| अपने बच्चों को भी अपनी खेती और मजदूरी में लगाने की सोचते रहते हैं| सरकार करोड़ों रिपये शिक्षा पर हर वर्ष खर्च करती है, मगर उन पैसों का सही उपयोग ग्राम वासी नहीं कर पाते| कारण वे अशिक्षित एवं अनपढ़ हैं| मैं शिक्षक बनकर ग्रामवासियों की इस कमी को पूरी करने की कोशिश करता| इसके अलावा में शिक्षक बनकर अपने जीवन को एक आदर्श बनाता और अपना ज्ञान बच्चों को देकर उन्हें आदर्श नागरिक बनता|
शिक्षक बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है |शिक्षक बनने के लिए ऊँची शिक्षा हासिल करनी पड़ती है| मैं अथक परिश्रम करके ऊँची शिक्षा प्राप्त करता| शिक्षक कि ट्रेनिंग बी.एड्. , एम.एड्. आदि प्राप्त करता और किसी ग्रामीण-विद्यालय का शिक्षक बनना उचित समझता| मैं ऊपर बता चुका हूँ कि गाँव में शहरों की अपेक्षा शिक्षा का स्तर बहुत गिरा हुआ है | इसलिए मैं ग्रामीण पाठशाला का शिक्षक बनना अधिक पसन्द करता |मैं ग्रामवासियों को सर्व प्रथम शिक्षा का महत्त्व समझाता और उनसे प्रार्थना करता कि अपने बच्चों को पढ़ने के लिए नित्य उन्हें पाठशाला भेजे| पाठशाला में उपस्थित बच्चों को अच्छी शिक्षा देकर उन्हें देशभक्त एवं आदर्श नागरिक बनता|
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