1. बारहसिंगा को किस पर घमंड था?
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एक समय की बात है। एक घने जंगल में एक बारहसिंघा रहा करता था। उसे अपने सुंदर सींगों पर बहुत घमंड था। उस घने जंगल के बीचो-बीच एक नदी बहती थी। जंगल के सारे जानवर उसी नदी के किनारे पानी पीने जाया करते थे। बारहसिंघा जब भी नदी किनारे पानी पीने जाता, तो नदी के साफ़ पानी में अपने सुंदर सींगों का प्रतिबिंब देखकर बहुत खुश होता। बारहसिंघा को जहाँ अपने सींगों को देख अपार ख़ुशी का अनुभव होता वहीँ उसे अपने पतले और भद्दे पैरों को देखकर बहुत दुःख होता। वह हमेशा सोचता कि भगवान ने उसे इतने बड़े और सुंदर सींग दिए हैं, लेकिन पैर बहुत ही पतले और भद्दे। ऐसे पैर किस काम के?
एक दिन वह नदी से पानी पीकर लौट ही रहा था की उसकी नजर झाड़ियों की तरफ गयी। एक शेर हौले हौले बारहसिंघा की तरफ बढ़े जा रहा था। उसे लगा की आज तो उसका खेल ख़त्म, वो शेर का शिकार बनकर ही रहेगा। अपने प्राण को संकट में पाकर उसने आव ना देखा ताव और पुरे जी जान से भागने लगा।
भागते-भागते जब बारहसिंघा को लगा कि वह शेर की पहुँच से दूर आ चूका है तो एक झाड़ी के सामने रुक कर उसने चैन की साँस ली। परन्तु अगले ही पल शेर को अपने तरफ आते देख उसने झाड़ियों में से निकलने की कोशिश की पर उसके सींग झाड़ियों में फंस गए। उसने अपनी सींगों को झाड़ियों से छुड़ाने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सफल न हो सका। वह इधर झाड़ियों से जूझ रहा था कि तब तक शेर उसके सामने पहुँच गया।
शेर को अपने सामने पाकर बारहसिंघा स्वयं को कोसने लगा कि व्यर्थ ही वह अपने पैरों को कम समझ रहा था और सींगों पर घमंड कर रहा था। जबकि उन्हीं भद्दे पैरों के कारण वह शेर से बचकर निकल पाया था और अब अपने सुंदर सींगों के कारण वह मुसीबत में फंस गया है। लेकिन अब समय हाथ से निकल चुका था। बारहसिंघा कुछ नहीं कर सकता था।
शेर को अपना शिकार मिल गया था। उसने लाचार खड़े बारहसिंघे पर झपट्टा मारा और उसे मारकर खा गया।
सीख – जिन सुंदर सीगों पर बारहसिंघे को घमंड था, उन्हीं के कारण उसे अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा। किंतु जिन पैरों को वह कोस रहा था, वास्तव में वही उसके प्राण बचा सकते थे। किसी भी वस्तु का महत्त्व उसकी सुंदरता में नहीं बल्कि उसके गुणों में है।