Hindi, asked by satyark5098, 10 months ago

1 है कि निम्नलिखित कथनों में से कोई एक कथन सत्य है उसे पहचानकर लिखिए I जयशंकर प्रसाद प्रसिद्ध समालखा हैं II डॉ ० राजेन्द्र प्रसाद उपन्यासकार हैं III रामचंद्र शुक्ल प्रसिद्ध निबन्धकार हैं र IV डॉ ० भगवतशरण उपाध्याय कवि के रूप में विख्यात हैं

Answers

Answered by nishantmalik007
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Answer:

Dr. rajendra parshad upanyasharkar ha . 2) is correct

Answered by jayathakur3939
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डॉ० भगवतशरण उपाध्याय का जन्म सन् 1910 ई० में बलिया जिले के उजियारीपुर गाँव में हुआ था । इनकी प्रसिद्धि का मुख्य आधार कविता है तथा देश और विदेश में ये मुख्यतः कवि रूप में प्रसिद्ध हैं ।

भारतविद् के रूप में देशी-विदेशी अनेक महत्वपूर्ण संस्थाओं से सक्रिय रूप से संबद्ध रहे तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मनीषा का प्रतिनिधित्व किया। जीवन के अंतिम समय में वे मॉरीशस में भारत के राजदूत थे। भगवतशरण उपाध्याय का व्यक्तित्व एक पुरातत्वज्ञ, इतिहासवेत्ता, संस्कृति मर्मज्ञ, विचारक, निबंधकार, आलोचक और कथाकार के रूप में जाना-माना जाता है।

ये संस्कृत - साहित्य तथा पुरातत्त्व समर्थ अध्येता एवं हिन्दी साहित्य के प्रसिद्ध उन्नायक हैं । इन्होंने भारत प्राचीन इतिहास एवं भारतीय संस्कृति विशेष अध्ययन किया क्रमशः पुरातत्त्व विभाग , प्रयाग संग्रहालय एवं लखनऊ संग्रहालय के अध्यक्ष तथा पिलानी बिड़ला महाविद्यालय में प्राध्यापक पर कार्य किया ।भारत के प्रतिनिधि रूप में मारिशस में कार्यरत उपाध्यायजी ने कई बार यूरोप , अमरीका , चीन आदि का भी भ्रमण किया , जहाँ भारतीय संस्कृति एवं साहित्य पर बहुत - से महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिये ।

सौ से भी अधिक पुस्तकें लिखकर इन्होंने हिन्दी - साहित्य को समृद्ध बनाने का स्तुत्य प्रयास किया इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि प्राचीन भारत के प्रमुख अध्येता एवं व्याख्याता होते हुए भी रूढ़िवादिता एवं परम्परावादिता से सदैव ऊपर रहे । वस्तुतः अपने मौलिक एवं स्वतन्त्र विचारों के लिए ये प्रसिद्ध हैं । उपाध्यायजी ने आलोचना , यात्रा - साहित्य , पुरातत्त्व , संस्मरण एवं रेखाचित्र आदि पर प्रचुर साहित्य सृजन किया । इनकी रचनाओं में इनके गहन अध्ययन एवं विद्वत्ता की स्पष्ट छाप परिलक्षित होती है । गहन से गहन विषय को सरल भाषा में प्रस्तुत कर देना इनकी प्रधान साहित्यिक विशेषता थी । इनमें विवेचन एवं तुलना करने की विलक्षण योग्यता विद्यमान थी । अपनी इसी योग्यता के कारण इन्होंने भारतीय साहित्य , कला एवं संस्कृति की प्रमुख विशेषताओं को सम्पूर्ण विश्व के सामने स्पष्ट कर दिया ।

डॉ0 उपाध्याय ने शुद्ध , परिमार्जित एवं परिष्कृत खड़ीबोली भाषा का प्रयोग किया है ।

इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं  :-

विश्व - साहित्य की रूपरेखा ,  साहित्य और कला  , खून के छींटे  इतिहास के पन्नों पर ,  कलकत्ता से पीकिंग  ,  कुछ फीचर कुछ एकांकी , इतिहास साक्षी है , ठूठा आम, सागर की लहरों पर , इण्डिया कालिदास आदि ।

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