1. निम्न संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-
एक टका दो, हम अभी अपनी जात बेचते हैं। टके के वास्ते ब्राह्मण से धोबी हो जायें और धोबी को ब्राह्मण कर दें,
जैसी कहो वैसी व्यवस्था दें। टके के वास्ते झूठ को सच करें। टके के वास्ते ब्राह्मण से मुसलमान, टके के वास्ते हिन
टके के वास्ते धर्म और प्रतिष्ठा दोनों बेचें, टके के वास्ते झूठी गवाही दें।
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निम्न संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए-
एक टका दो, हम अभी अपनी जात बेचते हैं। टके के वास्ते ब्राह्मण से धोबी हो जायें और धोबी को ब्राह्मण कर दें,
जैसी कहो वैसी व्यवस्था दें। टके के वास्ते झूठ को सच करें। टके के वास्ते ब्राह्मण से मुसलमान, टके के वास्ते हिन
टके के वास्ते धर्म और प्रतिष्ठा दोनों बेचें, टके के वास्ते झूठी गवाही दें।
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प्रसंग सहित व्याख्या :
- संदर्भ : ये पंक्तियां अंधेर नगरी चौपट राजा टेक सेर भाजी टके सेर खाजा पाठ से को गई है। इसके लेखक है भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी।
- प्रसंग : अंधेर नगरी में चौपट राजा के राज में सब कुछ अव्यवस्थित था। सभी चीजे बजट में टके सेर मिलते थे। जूते वाला टके में जूता भी रहा था।
- व्याख्या : एक ब्राह्मण जात वाला टके सेर जात बेच रहा था। वो कह रहा था कि टके में एक ब्राह्मण धोबी बन सकता है और धोबी टके में ब्राह्मण बन सकता है। टके में सच झूठ व झूठ सच बन सकता है । टके में ब्राह्मण से कोई भी मुसलमान बन सकता है। टके में हिन्दुस्तानी क्रिश्चियन बन जाए । टके के कारण मान सम्मान प्रतिष्ठा बेचे। धर्म भी बेच सकते है। टके में पाप को पुण्य माने । टका देकर नीच इंसान को पितामह बना दो। अनमोल माल टके सेर ले लो।
#SPJ3
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