1. निम्नलिखित पर eassy
(क) रक्षा बंधन
(ख) आदर्श विद्यार्थी
(ग) प्रदूषण की समस्या ।
(घ) वृक्ष और हम .
(ङ) मेरी पर्वतीय यात्रा
संकेत बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखि
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Answer:
प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।
प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।
प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण ।
वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।
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रक्षाबंधन का त्यौहार । About Raksha Bandhan in Hindi
रक्षाबंधन का त्योहार हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया ŕजाता है। इसके पहली वाली पूर्णिमा गुरु-पूर्णिमा थी, जो गुरु और शिक्षकों को समर्पित थी। उसके पहले बुद्ध पूर्णिमा और उसके भी पहले चैत्र-पूर्णिमा थी। तो इस पूर्णिमा को श्रावण-पूर्णिमा कहते हैं, रक्षा-बंधन का यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और कर्तव्य के सम्बन्ध को समर्पित है।
रक्षाबंधन का महत्व । Importance of Raksha Bandhan in Hindi
रक्षाबंधन पर बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं। भाई अपनी बहन को सदैव साथ निभाने और उसकी रक्षा के लिए आश्वस्त करता है। यह परम्परा हमारे भारत में काफी प्रचलित है, और ये श्रावण पूर्णिमा का बहुत बड़ा त्यौहार है। आज ही के दिन यज्ञोपवीत बदला जाता है।
रक्षाबंधन अर्थात् संरक्षण का एक अनूठा रिश्ता, जिसमें बहनें अपने भाइयों को राखी का धागा बाँधती है, लेकिन मित्रता की भावना से भी यह धागा बाँधा जाता है, जिसे हम दोस्ती का धागा भी कहते हैं। यह नाम तो अंग्रेज़ी में अभी रखा गया है, लेकिन रक्षा बंधन तो पहले से ही था, यह रक्षा का एक रिश्ता है।
इसलिए, रक्षा बंधन ऐसा त्यौहार है, जब सभी बहनें अपने भाइयों के घर जाती हैं,और अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, और कहती हैं "मैं तुम्हारी रक्षा करूंगी और तुम मेरी रक्षा करो"। और ये कोई ज़रूरी नहीं है, कि वे उनके अपने सगे भाई ही हों, वह अन्य किसी को भी राखी बाँधकर बहन का रिश्ता निभाती हैं।तो ये प्रथा इस देश में काफी प्रचलित है, और ये श्रावण पूर्णिमा का बहुत बड़ा त्यौहार है। आज ही के दिन यज्ञोपवीत बदला जाता है।
रक्षाबंधन पर राखी बांधने की हमारी सदियों पुरानी परंपरा रही है। प्रत्येक पूर्णिमा किसी न किसी उत्सव के लिए समर्पित है। सबसे महत्वपूर्ण है कि आप जीवन का उत्सव मनाये। सभी भाईयों और बहनों को एक दूसरे के प्रति प्रेम और कर्तव्य का पालन और रक्षा का दायित्व लेते हुए ढेर सारी शुभकामना के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाना चाहिए।
अगले पांच सालों के लिए रक्षाबंधन उत्सव की तारीख पता करें । Know the dates for Raksha Bandhan festival for next five years
१५ अगस्त २०१९गुरूवार३ अगस्त २०२०सोमवार२२ अगस्त २०२१रविवार११ अगस्त २०२२गुरूवार३० अगस्त २०२३बुधवार
रक्षाबंधन वीडियो। Video on Raksha Bandhan
यज्ञोपवीत (जनेऊ) का संदेश और बदलने का महत्व
आपको ये याद दिलाना कि आपके कन्धों पर तीन जिम्मेदारियां या ऋण हैं – माता-पिता के प्रति ज़िम्मेदारी, समाज के प्रति जिम्मेदारी और ज्ञान के प्रति जिम्मेदारी। ये हमारी तीन जिम्मेदारी या ऋण हैं। हम अपने माता-पिता के प्रति ऋणी हैं, हम समाज के प्रति ऋणी हैं, और हम गुरु के प्रति ऋणी हैं; यानि ज्ञान के प्रति। तो ये तीन प्रकार के ऋण हैं, और यज्ञोपवीत हमें इन तीन जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।
जब हम कहते हैं ‘ऋण’ – तो हमें लगता है कि ये कोई कर्जा है जो हमें वापिस करना है। लेकिन हमें इसे एक जिम्मेदारी के रूप में समझना चाहिये। तो इस सन्दर्भ में ऋण का क्या अर्थ है? जिम्मेदारी! यह है अपनी जिम्मेदारियों को पुनः याद करना, पिछली पीढ़ी के प्रति, आने वाली पीढ़ी के लिए और वर्तमान पीढ़ी के लिए। और इसी लिए, आप धागे को तीन बार लपेटते हैं।
यही इसका महत्व है – मुझे अपना शरीर शुद्ध रखना है, अपना मन शुद्ध रखना है और अपनी वाणी शुद्ध रखनी है; शरीर, मन और वाणी में पवित्रता। और जब आपके चारों ओर एक धागा लटका रहता है, तो आपको हर दिन ये याद आता है – “ओह, मेरी ये तीन जिम्मेदारी हैं”।
पुराने दिनों में महिलाओं को भी ये धागा पहनना होता था। ये केवल एक जाति या किसी और जाति तक ही सीमित नहीं था। इसे हर एक कोई पहनता था – फिर चाहे वो ब्राह्मण हो, वैश्य, क्षत्रिय या शुद्र; लेकिन बाद में यह सिर्फ कुछ लोगों तक ही सीमित रह गया।
तो इस दिन, जब ये पवित्र धागा (जनेऊ) बदला जाता है, तो इसे एक संकल्प के साथ किया जाता है, कि “मुझे शक्ति प्रदान हो, कि मैं जो भी कर्म करूँ वे कुशल और श्रुत हों”। कर्म करने के लिए भी किसी को योग्यता चाहिये। और जब शरीर शुद्ध हो, वाणी शुद्ध हो और चेतना जागृत हो, तभी काम पूरा होता है।
ऐसा कहा गया है, कि किसी को काम करने के लिए, चाहे वे आध्यात्मिक हो या फिर सांसारिक काम, उन्हें कुशलता और योग्यता जरूरी है और इस कुशलता और योग्यता को पाने के लिए, आपको जिम्मेदार होना पड़ेगा। केवल एक ज़िम्मेदार व्यक्ति ही काम करने के लायक है। कितना सुन्दर सन्देश दिया गया है। और यज्ञोपवीत संस्कार – माने ये सीखना कि जिम्मेदारी कैसे ली जाती है।
जनेऊ (पवित्र धागा) को सिर्फ ऐसे ही नहीं बदल देना चाहिये। जीवन में जिम्मेदारियां होती हैं। तो इसे सजगता और संकल्प के साथ बदला जाता है कि “मैं जो भी करूँ, उसे जिम्मेदारी के साथ करूँ”
यह लेख गुरुदेव श्री श्री रवि शंकरजी के प्रवचनों पर आधारित है।
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