1)प्रस्तुत पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिये-
आकाशका साफा बाँधकर
सूरज की चिलम खींचता
बैठा है पहाइ.
घुटनों पर पड़ी है नही चादर-सी,
पास ही दहक रही है
पलाश के जंगल की अँगीठी
अंधकार दूर पूर्व में
सिमटा बैठा है भेड़ों के गल्ले-सा
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please hamen is chapter ka name and Kavi ka name bhej do to hi ham answer de sakte hai. ok
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