Hindi, asked by amitbaba554, 9 months ago

10.
9. गोपिया के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
10. गोपियों को कृष्णण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पालनका बात
कहती है?
____11. गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएं
लिखिए?
12. संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएं बताइए?​

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Answered by aman8898
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from which class this question is.

Answered by Anonymous
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(9)गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा की हर तरह से रक्षा करना होता है तथा नीति से राजधर्म का पालन करना होता। एक राजा तभी अच्छा कहलाता है जब वह अनीति का साथ न देकर नीति का साथ दे।

(10)उनके अनुसार श्री कृष्ण द्वारका जाकर राजनीति के विद्वान हो गए हैं। जो उनके साथ राजनीति का खेल खेल रहे हैं। उनके अनुसार श्री कृष्ण पहले से ही चतुर थे अब तो ग्रंथो को पढ़कर औऱ भी चतुर बन गए हैं। द्वारका जाकर तो उनका मन बहुत बढ़ गया है, जिसके कारण उनहोंने गोपियों से मिलने के स्थान पर योग की शिक्षा देने के लिए उद्धव को भेज दिया है। श्री कृष्ण के इस कदम से उनका हृदय बहुत आहत हुआ है अब वह अपने को श्री कृष्ण के अनुराग से वापस लेना चाहती हैं।

(11)गोपियों केवाक्चातुर्यकीविशेषताएँ इस प्रकार है –

  •  तानों द्वारा (उपालंभ द्वारा)  – गोपियाँ उद्धव को अपने तानों के द्वारा चुप करा देती हैं। उद्धव के पास उनका कोई जवाब नहीं होता। वे कृष्ण तक को उपालंभ दे डालती हैं। उदाहरण के लिए –  इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।  बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
  • तर्क क्षमता  – गोपियों ने अपनी बात तर्क पूर्ण ढंग से कही है। वह स्थान-स्थान पर तर्क देकर उद्धव को निरुत्तर कर देती हैं। उदाहरण के लिए –  “सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यौं करुई ककरी।”  सु तौ ब्याधि हमकौं लै आए, देखी सुनी न करी।

यह तौ ‘सूर’ तिनहि लै सौंपौ, जिनके मन चकरी।।

  •  व्यंग्यात्मकता  – गोपियों में व्यंग्य करने की अद्भुत क्षमता है। वह अपने व्यंग्य बाणों द्वारा उद्धव को घायल कर देती हैं। उनके द्वारा उद्धव को भाग्यवान बताना उसका उपहास उड़ाना था।
  •  तीखे प्रहारों द्वारा  – गोपियों ने तीखे प्रहारों द्वारा उद्धव को प्रताड़ना दी है।

(12)भ्रमरगीत की निम्नलिखित विशेषताएँ इस प्रकार हैं –

  • सूरदास ने अपने भ्रमर गीत में निर्गुण ब्रह्म का खंडन किया है।
  • भ्रमरगीत में गोपियों के कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम को दर्शाया गया है।
  • भ्रमरगीत में उद्धव व गोपियों के माध्यम से ज्ञान को प्रेम के आगे नतमस्तक होते हुए बताया गया है, ज्ञान के स्थान पर प्रेम को सर्वोपरि कहा गया है।
  •  भ्रमरगीत में गोपियों द्वारा व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग किया गया है।
  • भ्रमरगीत में उपालंभ की प्रधानता है।
  • भ्रमरगीत में ब्रजभाषा की कोमलकांत पदावली का प्रयोग हुआ है। यह मधुर और सरस है।
  •  भ्रमरगीत प्रेमलक्षणा भक्ति को अपनाता है। इसलिए इसमें मर्यादा की अवहेलना की गई है।
  • भ्रमरगीत में संगीतात्मकता का गुण विद्यमान है।

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