14. उन दो पुरास्थलों का उल्लेख कीजिए जिनके आधार पर पुरातत्वविद् यह मानतेहैं कि हड़प्पाई समाज द्वारा कृषि के लिए जल संचय किया जाता था।
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Answer: लोथल और सुरकोटदा में दुर्ग और आवासीय क्षेत्र के अलग अलग टीले के साक्ष्य नहीं मिले हैं। लोथल और सुरकोटदा पुरास्थल के सम्पूर्ण क्षेत्र एक ही रक्षा प्राचीर से घिरे हुए थे।
Explanation: लेाथल एवं धोलाविरा के आधार पर पुरातत्वविद् मानते हैं , कि हड़प्पा समाज द्वारा कृषि के लिए जल संचय किया जाता था।
सिन्धु सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार है-
अपनी समकालीन नदी घाटी सभ्यताओं की तरह सिन्धु घाटी की सभ्यता धातुकालीन थी। यह कांस्यकालीन सभ्यता थी। वे सोना, चाँदी, तांबा (ताम्र), कांस्य (कांस्य), न (राँगा), सीसा आदि से परिचित थे, लेकिन उन्हें लोहे का ज्ञान नहीं था।
यह सभ्यता उच्च कोटि की नगरीय सभ्यता थी। तत्कालीन लोगों ने बड़े नगरों की स्थापना की। सिन्धु सभ्यता के काल को भारतीय उपमहाद्वीप में ‘प्रथम नगरीय क्रांति’ का दौर कहा जाता है।
फेयर सर्विस नामक विद्वान का अनुमान है कि मोहनजोदड़ो की जनसंख्या लगभग 41,250 रही होगी। हड़प्पा (दुर्ग क्षेत्र को छोड़कर) की जनसंख्या 23,544 आंकी गई है
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हड़प्पाई समाज द्वारा कृषि के लिए जल संचय किया जाता था:
हड़प्पा संस्कृति अपने आप अनोखी संस्कृति हैं। हड़प्पा संस्कृति हमेशा से ही अनोखी और आकर्षित रही हैं। सिंधु तथा उसके आसपास की संपर्क नदियों के जलोढ़ मिट्टी कुषि हेतु महत्त्वपूर्ण मानी जाती थी। इन उपजाऊ मैदानों में मुख्य रूप से गेहूँ और जौ की खेती की जाती थीं, सिंधु घाटी की यही फ़सल भी थी। अभी तक 9 फ़सलें पहचानी गयी हैं।
- चावल
- लोथल
- जौ
- गेहूं
- कपास
- तरबूज
- मटर
- खजूर
- सरसो
- तिल
- धान
- बाजरा
लेाथल एवं धोलाविरा के आधार पर पुरातत्वविद् मानते हैं , कि हड़प्पा समाज द्वारा कृषि के लिए जल संचय किया जाता था।एक ऐसी किस्म जिसे ‘ब्रासिक जुंसी‘ की संज्ञा दी गयी है। इसके अतिरिक्त मटर, सरसों, तिल एवं कपास की भी खेती होती थी। लोथल में हुई खुदाई में धान तथा बाजरे की खेती के अवशेष मिले है।हड़प्पा के लोग हाथ से बने औजार का प्रयोग किया करतें थे।सम्भवतः हड़प्पा सभ्यता के लोग ही सर्वप्रथम कपास उगाना प्रारम्भ किये। इसीलिए यूनानी लोगों ने इस प्रदेश को ‘सिडोन‘ कहा।
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