16. औचित्य संप्रदाय के प्रवर्तक कौन थे
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भारतीय काव्यशास्त्र में आचार्य अभिनवगुप्त के शिष्य क्षेमेंद्र ने अपनी कृति "औचित्यविचारचर्चा" में रससिद्ध काव्य का जीवित या आत्मभूत औचित्य तत्व को घोषित कर एक नए सिद्धांत की स्थापना की थी, जो औचित्यवाद के नाम से प्रसिद्ध है।
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औचित्य संप्रदाय के प्रवर्तक आचार्य क्षेमेंद्र थे।
Explanation:
आचार्य क्षेमेंद्र काशी के निवासी थे। और इन्होंने 11 वी सदी में औचित्य संप्रदाय की स्थापना की थी। औचित्य शब्द का निर्माण उचित शब्द से हुआ है। आचार्य क्षेमेंद्र, आचार्य आभिनवगुप्त भारतीय काव्याशास्त्र के शिष्य थे। क्षेमेंद्र ने अपनी कृति अपनी "औचित्यविचारचर्चा" में रससिद्ध काव्य का जीवित या आत्मभूत औचित्य तत्व को घोषित कर एक नए सिद्धांत की स्थापना की थी, जो औचित्यवाद के नाम से प्रसिद्ध हुई थी।
अतः सही उत्तर है, आचार्य क्षेमेंद्र।
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