18'उपभोक्तावाद की संस्कृति' विषय पर 100-125 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए
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उपभोक्तावाद एक ऐसी आर्थिक प्रक्रिया है जिसका सीधा अर्थ समाज के भीतर व्याप्त प्रत्येक तत्व उपभोग करने योग्य हैं. उसे बस सही तरीके से जरुरी वस्तुओं के रूप बाजार में स्थापित करना है. उद्योगपति अपने निजी लाभ के लिए जो वस्तुए बाजार में बेचते हैं. उसके प्रति ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए उनके मन में कृत्रिम इच्छाओं को जागृत करते हैं.
ग्राहक को महसूस होता है कि इस वस्तु के बिना तो उसका तो काम चल ही नहीं सकता. यही से अपव्ययपूर्ण उपभोग की शुरुआत हो जाती हैं. विकसित देशों में विश्व की एक चौथाई आबादी निवास करती हैं. किन्तु विश्व के कुल संसाधनों का तीन चौथाई उपभोग इन्ही के द्वारा किया जाता हैं.
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