1832 ke sudhar adhiniyam ki Vishwanath
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1832 के सुधार अधिनियम को ब्रिटिश संसदीय चुनाव प्रक्रिया के सुधार में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे महान सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है। ... ब्रिटेन के सामंत/ राजशाही लोगो को लगने लगा कि यदि लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया तो इंग्लैंड में क्रांति हो जाएगी।
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1832 के सुधार अधिनियम को ब्रिटिश संसदीय चुनाव प्रक्रिया के सुधार में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इसे महान सुधार अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स का गठन 1707 में स्कॉटलैंड और इंग्लैंड के एकीकरण के बाद हुआ था। लेकिन सांसदों के चुनाव की प्रक्रिया में कई खामियां थी। संसद में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व बहुत आसमान था। कुछ क्षेत्रों में 10 -15 वोटर मिलकर एक सांसद को चुन लेते थे, वही मेनचेस्टर जैसे तेजी से बढ़ने वाले शहर का प्रतिनिधित्व कोई भी संसद नहीं करता था। गुप्त मतदान की कोई प्रणाली नहीं और प्रभावशाली व्यक्ति वोट खरीद कर हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्य बन जाते थे। इसी कारणों से ब्रिटैन में सुधार के लिए आंदोलन होने लगे और 1831 में कई दंगे हुए। ब्रिटेन के सामंत/ राजशाही लोगो को लगने लगा कि यदि लोगों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया तो इंग्लैंड में क्रांति हो जाएगी। इस सुधार अधिनियम के अन्तर्गत ब्रिटेन की संसदीय सीट जिन्हें borogh कहा जाता था, उन्हें जनसंख्या के हिसाब से पुनर्गठित किया। बहुत कम जनसंख्या वाले ग्रामीण क्षेत्रो की सीट कम की गई और नए औधोगिक शहरों जैसे मैनचेस्टर और लंदन को सीट मिली। इसके अलावा वोट देने की योग्यता को नीचे किया गया जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगो को वोट का अधिकार मिला। मध्यम वर्ग को ज्यादा वोटिंग अधिकार दिए, हालांकि महिलाओ और गरीब लोगों को अभी भी वोटिंग अधिकार नहीं दिए गए। इस सुधार अधिनियम ने ब्रिटेन में। लोकतांत्रिक सुधारो की शुरूआत की।