2. एक Cartoon strip तैयार करते हुए 'मृदा प्रदूषण' (SOIL POLLUTION) को
रोकने के विभिन्न उपाय दर्शाइए।
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Explanation:
मृदा प्रदूषण उपजाऊ भूमि की मिट्टी का प्रदूषण है जो कि धीरे-धीरे उर्वरक और औद्योगिकीकरण के उपयोग के कारण दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। आधुनिक समय में पूरी मानव बिरादरी के लिए मृदा प्रदूषण एक बड़ी चुनौती बन गया है। स्वस्थ जीवन को बनाए रखने के लिए मिट्टी सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। जहाँ यह कई छोटे-छोटे जानवरों का घर है वहीँ यह पौधों का जीवन भी है। मिट्टी का मनुष्यों द्वारा जीवन चक्र को बनाए रखने के लिए विभिन्न फसलों के उत्पादन के लिए भी उपयोग किया जाता है।
हलांकि मानव आबादी में वृद्धि से जीवन को आराम से जीने के लिए फसलों के उत्पादन और अन्य तकनीकी संसाधनों की आवश्यकता बढ़ जाती है। कई अत्यधिक प्रभावी उर्वरक बाजार में उपलब्ध हैं जो फसल उत्पादन को बेहतर बनाने के लिए अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताते हैं लेकिन फसल पर इसका छिड़काव करते ही पूरा उर्वर मिट्टी को ख़राब करते हुए प्रदूषण फ़ैला देता हैं।
अन्य कीटनाशकों की किस्में (जैसे फंगीसाइड आदि) भी किसानों द्वारा कीड़े और कवक से अपनी फसलों को बचाने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। इस प्रकार के कीटनाशक भी बहुत जहरीले होते हैं तथा भूमि और हवा को प्रदूषित करके पर्यावरण में उनके दुष्प्रभावों को फैलाते हैं। मृदा प्रदूषण के अन्य तरीकों में अम्लीकरण, एग्रोकेमिकल प्रदूषण, सेलीनाइजेशन और धातुओं के कचरे द्वारा फैलाया प्रदूषण शामिल है।
एसिडिफिकेशन एक सामान्य प्राकृतिक कारण है जो दीर्घकालिक लीचिंग और माइक्रोबियल श्वसन से जुड़ा हुआ है जिससे धीरे-धीरे मिट्टी के जैविक पदार्थ (जैसे ह्यूमिक और फुल्विक एसिड) विघटित होते हैं जो फिर से लीचिंग को उत्तेजित करता है। उपजाऊ भूमि पर अकार्बनिक उर्वरकों के उपयोग से मिट्टी का प्रदूषण स्तर बढ़ गया है और मिट्टी की उर्वरता कम हो गयी है।