2.हमेशा अपने आप को दूसरों की जगह रख के देखो। यदि कोई बात स्वयं को दुख पहुंचाता है, तो
निश्चित ही वह बात दूसरों को भी दुखी कर सकती है। इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए
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हमेशा अपने आप को दूसरों की जगह रख के देखो। यदि कोई बात स्वयं को दुख पहुंचाता है, तो निश्चित ही वह बात दूसरों को भी दुखी कर सकती है। इन पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए
यह वाक्य बिलकुल सत्य है , हमें अपने आप को दूसरों को जगह रख कर देखना चाहिए | यदि कोई बात स्वयं को दुख पहुंचती है , तो यह सच है वह बात दूसरों को भी दुःख देगी | यदि हम किसी के साथ मज़ाक करते है और उसी मज़ाक से हमारा दिल दुखता हो और हमें बुरा लगता है उसी प्रकार हमें अगर हमें दूसरों के बारे में सोचना चाहिए उन्हें भी बहुत दुःख होगा , इसलिए हमें किसी के साथ कोई ऐसा मज़ाक या कोई बात नहीं बोलनी चाहिए की किसी को बुरा लगे |
यदि हम किसी के साथ मज़ाक कर रहे है और सामने वाले को अच्छा नहीं लग रहा उसका दिल दुःख रहा है , उसे बुरा लग रहा है , और वह ही मज़ाक सामने वाला हमारे साथ करें तो हमें भी उसको सहने की हिम्मत रखनी चाहिए | यह सच है जो हम दूसरों के साथ करते है वह वापिस हमारे आता ही है | इसलिए जब भी हम की काम करें यह सोच करें की किसी को किसी प्रकार का कोई दुःख ना हो और वही दुःख हमें भी वापिस मिल सकता है | सभी मनुष्य को दुःख भी होता है , और ख़ुशी भी होती लगभग एक जैसी भावना होती है |