2. निम्नलिखित अवतरण की सन्दर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए पीपा हरि सों गुरु बिना, होत न विसद विवेक । ज्ञान रहित अज्ञानयुत, कठिन कुमन की टेक ॥
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संत पीपा कहते हैं कि गुरु के बिना हरी यानी परमेश्वर से भेंट या साक्षात्कार नहीं हो सकता। ज्ञान रहित और अज्ञान अबाध मन की कुटिलता के कारण साधक का विवेक जागरण नही हो पाता।
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इसके मत न लाग माया का भ्रम छोड़ के, सत रे मारग भाग ॥ मनसा वाचा करमणा, सुमरण सब सुख मूल पीपा माया मत चलै, तू हरिनाम न भूल ॥
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निम्नलिखित अवतरण को सन्दर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए पीपा हरि सो गुरु बिना होत न विसद विवेक ज्ञान रहित अज्ञानयुत कठिन कुमन की टेक॥ पीपा मन तो बावलों, इसके मत न लाग माया का भ्रम छोड़ के, सत रे मारग भाग ॥ मनसा वाचा करमणा, सुमरण सब सुख मूल पीपा माया मत चलै, तू हरिनाम न भूल ॥
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