2. राजनीति विज्ञान में शक्ति की अवधारणा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए
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शक्ति’ (The concept of power) आधुनिक राजनीति विज्ञान की केन्द्रीय धारणा है । राज्य, सम्प्रभुता, सरकार, कानून, आदि में शक्ति को प्रमुख अन्तर्निहित तत्व माना जाता है । बेकर ने राजनीति को शक्ति से अपृथकनीय कहा है । कैटलिन और लासवेल ने राज्य विज्ञान को ‘शक्ति का विज्ञान’ कहा है ।
विलियम रॉब्सन राजनीति विज्ञान को समाज में शक्ति, उसकी प्रकृति आधार प्रक्रियाओं विषय-विस्तार तथा परिणामों से सम्बन्धित मानता है । प्राचीन समय में राज-दार्शनिकों एवं चिन्तकों ने ‘शक्ति’ की धारणा की उपेक्षा नहीं की है । यह सच है कि, उनका दृष्टिकोण परम्परावादी था और इसलिए उनका ध्यान संस्थागत अध्ययन एवं राज्य की उत्पत्ति के इतिहास की खोज आदि की ओर अधिक रहा ।
फिर भी मैकियावेली, हॉब्स, कौटिल्य, हीगल, बोसांके, आदि प्रमुख विचारकों ने शक्ति और उससे सम्बन्धित तत्वों के अध्ययन की ओर प्रचुर मात्रा में ध्यान दिया । कौटिल्य ने तो स्पष्ट लिखा है कि- ‘समस्त सांसारिक जीवन का आधार दण्ड-शक्ति ही है ।’
आज इस तथ्य को स्वीकार कर लिया गया है कि- ‘शक्ति के अभाव में राजनीति अस्तित्वविहीन है ।’ राजनीति का क्षेत्र चाहे आन्तरिक हो या अन्तर्राष्ट्रीय दोनों में शक्ति को राजनीति से पृथक् करना कठिन है । प्रो. हान्स जे. मॉरगेन्थाऊ के शब्दों में- ”हर प्रकार की राजनीति चाहे वह घरेलू हो या अन्तर्राष्ट्रीय शक्ति संघर्ष की एक प्रक्रिया है ।”