2 यदि तुम्हारी मां न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
धन्य तुम, मां भी तुम्हारी धन्य !
चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य !
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उंगलियां मां की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
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jkxlls
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bsjsppauwkksmlskjhsjkdlsjggsjldlshhshd
understood
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l don't understand
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friends
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