Hindi, asked by nishaagarwalu3714, 9 months ago

24. पश्चिम देशों की चकाचौंध से आकर्षित होकर अनेक भारतीय विदेशों की ओर उन्मुख हो रहे हैं--इस पर अपने विचार लिखिए।mark_3
25. गांवों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन -सा हो गया है। इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश हो सकते हैं? उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए।
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Answers

Answered by shishir303
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पश्चिमी देशों की चकाचौंध से आकर्षित होकर अनेक भारतीय विदेशियों की ओर उन्मुख हो जाते हैं। हमारे विचार में यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। हम जिस देश में पले-बड़े होते हैं, जिस देश ने हमें इतना मान सम्मान दिया, जिस देश की माटी में खेल कर हमारा अस्तित्व बना, उसे यूँ ही भूल जाना ठीक नही होता। अपने देश से इतना कुछ मिलने के बाद हमारा परम कर्तव्य बनता है कि जब हम किसी योग्य बनें तो हमें उस देश को बदले में कुछ देना हमारा परम कर्तव्य है, लेकिन बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो अपने देश की माटी को भूलकर धन और वैभव की चकाचौंध हो जाते हैं, और अपना आत्म सम्मान और स्वाभिमान त्यागकर अपनी मातृभूमि के प्रति कर्तव्य को भुलाकर पराये देश की ओर उन्मुख हो जाते हैं।

माना कि हमारे देश में अभी विकसित देश की स्थिति तक नही पहुँच पाया है, लेकिन विकास के पथ पर तो अग्रसर है, इसलिए अगर देश में विकास का अभाव है, तो इसका तात्पर्य यह नहीं पता कि हम अधिक सुख सुविधाओं की तलाश में अपने देश को ही छोड़ दें।

हमें अपने देश में रहकर ही यह प्रयास करना चाहिए कि हमारा देश पश्चिमी देशों की भांति ही उन्नत बन सके। हम अपने परिवार का ही उदाहरण लें यदि हमारे परिवार की स्थिति ठीक नहीं है, क्या हम अपने परिवार के सदस्यों को छोड़कर दूसरे परिवार में चले जाते हैं। जवाब है, नहीं, क्योंकि जैसा भी है, हमारा परिवार हमारा अपना होता है, हम अपने परिवार में रहकर सब मिलकर हालातों से मुकाबला करते है, और हालात सुधारते हैं।

उसी तरह ये देश भी हमारा वृहद परिवार है। दूसरे देशों कि चकाचौंध में आकर अपनी इस मातृभूमि को छोड़कर जाना बिल्कुल ही उचित नही है। यदि हमारा देश में कुछ समस्यायें हैं, तो हमें मिलकर समस्याओं को सुलझाना चाहिए और अपने देश को विकास के पथ पर तेज गति से आगे बढ़ाना चाहिए, ना कि पश्चिमी देशों की यहाँ पर चले जाना।

पश्चिमी देशों की चकाचौंध दिखावटी है, वहां पर शांति नहीं है, संतोष नहीं है। हमें ऊपर से पश्चिमी देश के लोग सुखी दिखाई देते हैं, लेकिन वे लोग भी शांति की तलाश में हैं। ऐसे में उस चकाचौंध के प्रभाव में आकर अपने देश को छोड़कर चले जाना, जो चकाचौंध अंदर से खोखली है, जो हमें शांति और सुकून नहीं देती, एक मूर्खतापूर्ण कार्य है।

इसलिए पश्चिमी देशों के चक्कर में आकर बाहर न जाकर अपने देशों में ही हालातों से मुकाबला करना चाहिए।

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