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ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है?
म कठिन तूफान कितने झेल आया।
मैं रुदन के पास हैंस-हँस खेल आया।
मृत्यु-सागर-तीर पर पद-चिह्न रखकर-
में अमरता का नया संदेश लाया।
आज तू किसको डराना चाहती है ?
ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है ?
तेज़ मेरी चाल आँधी क्या करेगी?
आग में मेरे मनोरथ तप चुके हैं।
आज तू किससे लिपटना चाहती है ?
चाहता हूँ मैं कि नभ-थल को हिला दूँ
और रस की धार सब जग को पिला दूँ
चाहता हूँ पग प्रलय-गति से मिलाकर-
आह की आवाज पर मैं आग रख दूँ।
आज तू किसको जलाना चाहती है ?
ओ निराशा, तू बता क्या चाहती है ?
-127 शब्द (C.
शूल क्या देखू चरण जब उठ चुके हैं
हार केसी, हौसले जब बढ़ चुके हैं।
1.कवि निराशा को ललकारते हुए अपने बारे में क्या बता रहा है ?
2. निराशा किसे डराना चाहती है ?
3. आशय स्पष्ट कीजिए- "मैं रुदन के पास हँस-हँस खेल आया।"
4. कवि की क्या इच्छा है ?
5. 'मृत्युसागर' में अलंकार बताइए।
Answers
Answer: 1.कवि निराशा को ललकारते हुए अपने बारे में क्या बता रहा है ?
उत्तर : कवि निराशा को ललकारते हुए बता रहे हैं कि मैंने अनेकानेक कठिन तूफानों को झेला है |
2. निराशा किसे डराना चाहती है ?
उत्तर : निराशा कवि को डराना चाहती है |
3 आशय स्पष्ट कीजिए- "मैं रुदन के पास हँस-हँस खेल आया।"
उत्तर : कवि का इन पंक्तियों से आशय हैं कि "जब-जब ऐसी मुश्किल परिस्थितियां उत्पन्न हुईं जो कवि को रूला दें तब-तब उन्होंने ऐसे अवसरों का हँस खेल कर सामना किया हैं |
4. कवि की क्या इच्छा है ?
उत्तर :कवि की इच्छा है कि वह धरती -आसमान को हिला दे और रस की धार समस्त जगत को पिला दें |कवि की यह भी कामना हैं कि वह अपनी कदम-ताल प्रलय-गति से मिलाकर चले और इससे उपजने वाली आह की आवाज़ को आग पर रख दें अर्थात पीड़ा को भस्मीभूत करदें |
5. 'मृत्युसागर' में अलंकार बताइए।
उत्तर : रूपक अलंकार है |
Explanation:
कविता का मुख्य संदेश क्या है