3. गंगा-यमुना से आपको क्या-क्या लाभ हैं ?
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hii mate
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....most importantly they give us water....
hope it helps u
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गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, गोदावरी, कृष्णा, सिंधु, क्षिप्रा, ब्रह्मपुत्र आदि सभी नदियों के अपने-अपने संगम है। हिंदू धर्म के तीन देवता हैं शिव, विष्णु और ब्रह्मा और तीन देवियां हैं पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती। इसीलिए सभी जगह त्रिवेणी का महत्व और बढ़ जाता है। त्रिवेणी का अर्थ है वह स्थान जहां तीन नदियां आकर मिलती हों। जहां तीन नदियों का संगम होता हो। प्रयाग की गंगा नदी में एक स्थान ऐसा है जहां तीन नदियों का मिलन होता है।
संगम और त्रिवेणी वस्तुत: एक ही स्थान है जहां गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है। यह दुर्लभ संगम विश्व प्रसिद्ध है। गंगा, यमुना के बाद भारतीय संस्कृति में सरस्वती को महत्व अधिक मिला है। लेकिन सवाल यह उठता है कि यहां गंगा और यमुना तो स्पष्ट नजर आती है लेकिन सरस्वती नहीं, तो फिर यह कैसे त्रिवेणी संगम हुआ?
दरअसल इसके पीछे एक कथा है। यह कथा श्रीमद्भागवत पुराण में बड़े ही विस्तार से मिलती है। सरस्वती पूर्व काल में स्वर्णभूमि में बहा करती थी। स्वर्णभूमि का बाद में नाम स्वर्णराष्ट्र पडा। धीरे धीरे कालान्तर में यह सौराष्ट्र हो गया। किन्तु यह सौराष्ट्र प्राचीन काल में पुरा मारवाड़ भी अपने अन्दर समेटे हुए था। सरस्वती यहां पर बड़े ही प्रेम बहती थी। नित्य इनकी पूजा और अर्चना होती थी। धीरे धीरे चूंकि इस प्रदेश के लोग यवनों के संपर्क में आकर यवन आचार विचार के मानने वाले होने लगे तो सरस्वती ब्रह्माजी से अनुमति लेकर मारवाड़ एवं सौराष्ट्र छोड़ कर प्रयाग में आकर वास करने लगी और तब से सरस्वती के वहां से चले आने के बाद वह पूरी भूमि ही मरू भूमि में परिवर्तित हो गयी जिसे आज राजस्थान के नाम जाना जाता है।