3. निम्न काव्य-पंक्तियों में निहित अलंकारों के नाम रिक्त स्थान में लिखिए-
1. अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी।
2. पुरइनि पात रहत जल भीतर
3. प्रीति-नदी में पाऊँ न बोर्यो
4. सूरदास अबला हम भोरी, गुर चाँटी ज्यौं पागी।
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अपरस रहत सनेह तगा तैं, नाहिन मन अनुरागी। अलंकार बताओ? प्रश्न में दी गई पंक्ति में रूपक अलंकार है। रूपक अलंकार एक वस्तु के बदले दूसरे को रखना अर्थात अभिन्न या एक कर दिया जाए। दूसरे शब्दों में उपमान को उपमेय पर आरोपित कर दिया जाए वहां रूपक अलंकार होता है। रूपक अलंकार में जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में भिन्नता दर्शायी नहीं जाती वह एक समान होते है, तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
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