4. शिक्षा प्रणाली में हो रहे परिवर्तन के संदर्भ में किसी अध्यापक का साक्षात्कार लीजिए ।
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शिक्षा प्रणाली में हो रहे परिवर्तन के संदर्भ में एक अध्यापक का साक्षात्कार
प्रश्नकर्ता — हैलो सर, मैं अपनी पत्रिका के लिये आप का साक्षात्कार लेना चाहता हूँ।
अध्यापक — जी बोलिये।
प्रश्नकर्ता — वर्तमान समय में शिक्षा प्रणाली में हो रहे परिवर्तन के संबंध में आप क्या चाहेंगे।
अध्यापक — देखिए शिक्षा प्रणाली में जो भी परिवर्तन हो रहा है वह समय की मांग के अनुसार हो रहा है पर इसमें भी कुछ विसंगतियां हैं।
प्रश्नकर्ता — वह क्या?
अध्यापक — हमारी शिक्षा व्यवस्था किताबी ज्ञान पर और अधिक केंद्रित होती जा रही है। यह ‘प्रैक्टिकल’ होने की बजाय ‘थ्योरेटिकल’ ज्यादा होती जा रही है। पहले भी कमोबेश यही हाल था पर आज जितना नही था।
प्रश्नकर्ता — मतलब छात्र किताबी ज्ञान की ओर ज्यादा झुके हैं।
अध्यापक — जी, बिल्कुल। इसमें उनका दोष नही। हमारी शिक्षा व्यवस्था ही ऐसी बनती जा रही है कि छात्रों पर चारों तरफ से 90% या अधिक अंक आने लाने का दवाब होता है।
प्रश्नकर्ता — पिछले कुछ वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में क्या-क्या बदलाव हुये हैं।
अध्यापक — पिछले कुछ वर्षों से शिक्षा प्रणाली के काफी परिवर्तन हुआ है। तकनीक की उन्नति से ऑनलाइन और ई-शिक्षा का प्रचलन बढ़ गया है। शिक्षकों का महत्व और सहभागिता कम हुई है। छात्र और शिक्षकों के बीच संबंधों में ठहराव आया है।
प्रश्नकर्ता — इसका क्या कारण है कि शिक्षकों का महत्व कम हुआ है।
अध्यापक — छात्र इंटरनेट आदि के माध्यम से बहुत सी जानकारी पहले से ही जुटा लेते हैं। जिसके कारण उन्हें हम से पूछने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे वो हमसे कम जुड़ पाते हैं। हालांकि इंटरनेट से जानकारी जुटाने में बहुत नुकसान भी है क्योंकि कई वेबसाइट की जानकारी प्रमाणिक नहीं होती पर छात्र उसे ही प्रमाणिक मान बैठते हैं और भ्रम जाल में फंस जाते है।
प्रश्नकर्ता — इस स्थिति से कैसे निपटा जाये।
अध्यापक — सही मार्गदर्शन और सही समझ से इस स्थिति से निपटा जा सकता है।
प्रश्नकर्ता — तो आप ये कहना चाहते हैं कि इंटरनेट आदि के कारण आज शिक्षकों की प्रासंगिकता कम होती जा रही है।
अध्यापक — ये एक सत्य है। आज छात्रों को सारी जानकारी आसानी से उपलब्ध होने के कारण उनमें जिज्ञासा तो अधिक हुई है पर जिज्ञासा के समाधान के लिये किये जाने वाले परिश्रम में कमी आई है। पहले उन्हे अपने किसी प्रश्न के समाधान के लिये अध्यापकों के पास जाना पड़ता था। पुस्तकों मे ढूंढना पड़ता था या वांछित पुस्तक की तलाश में लाइब्रेरी की खाक छाननी पड़ती थी। इस परिश्रम से प्राप्त जानकारी का महत्व भी उन्हे मालुम पड़ता था। परन्तु अब तो एक क्लिक पर सारी जानकारी उपलब्ध है, इसलिये इसका महत्व वो नही समझते।
प्रश्नकर्ता — तो इस बदलाव को आप किस तरह से लेंगे। सकारात्मक या नकात्मक?
अध्यापक — जी, दोनों तरह से ले सकते हैं। सकारात्मक इसलिये कि आज समय की मांग है। नकारात्मक इसलिये कि शिक्षा कि गुणवत्ता में कमी आई है।