Hindi, asked by emin95, 9 months ago

5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
लिखित
क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
1. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
2: पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
3. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
4. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
5. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बंचने क्यों च
6. बुढ़िया के दु:ख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभात म
आई?
ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
बाजार के लोग खावजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कर​

Answers

Answered by punamdevi80074
27

Explanation:

प्रश्न 1.

मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?

उत्तर-

मनुष्य के जीवन में पोशाक का बहुत महत्त्व है। पोशाक ही मनुष्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति दर्शाती है। पोशाक ही मनुष्य को मनुष्य में भेद करती है। पोशाक ही उसे आदर का पात्र बनाती है तथा नीचे झुकने से रोकती है।

प्रश्न 2.

पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?

उत्तर-

जब हम अपने से कम हैसियत रखने वाले मनुष्य के साथ बात करते हैं तो हमारी पोशाक हमें ऐसा नहीं करने देती। हम स्वयं को बड़ा मान बैठते हैं और सामने वाले को छोटा मानकर उसके साथ बैठने तथा बात करने में संकोच अनुभव करते हैं।

प्रश्न 3.

लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?

उत्तर-

लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि रोती हुई स्त्री को देखकर लेखक के मन में एक व्यथा उठी पर अपनी अच्छी और उच्चकोटि की पोशाक के कारण फुटपाथ पर नहीं बैठ सकता था।

प्रश्न 4.

भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?

उत्तर-

भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन पर हरी तरकारियाँ तथा खरबूजे उगाया करता था। वह रोज ही उन्हें सब्जी मंडी या फुटपाथ पर बैठकर बेचा करता था। इस प्रकार वह कछिआरी करके अपने परिवार का निर्वाह करता था।

प्रश्न 5.

लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी? उत्तर- लड़के की मृत्यु के दिन ही खरबूजे बेचने जाना बुढ़िया की घोर विवशता थी। साँप के हँसे लड़के की झाड़-फेंक कराने, नाग देवता की पूजा और मृत्यु के बाद अंत्येष्टि करने में हुए खर्च के कारण उसके घर में अनाज का दाना भी न बचा था।

प्रश्न 6.

बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?

उत्तर-

लेखक ने बुढ़िया के पुत्र शोक को देखा। उसने अनुभव किया कि इसे बेचारी के पास रोने-धोने का भी समय और अधिकार नहीं है। तभी उसकी तुलना में उसे अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद आ गई। वह महिला पुत्र शोक में ढाई महीने तक पलंग पर पड़ी रही थी।

ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.

बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर-

बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली महिला के बारे में तरह-तरह की बातें कहते हुए ताने दे रहे थे और धिक्कार रहे थे। उनमें से कोई कह रहा था कि बुढ़िया कितनी बेहया है जो अपने बेटे के मरने के दिन ही खरबूजे बेचने चली आई। दूसरे सज्जन कह रहे थे कि जैसी नीयत होती है अल्लाह वैसी ही बरकत देता है। सामने फुटपाथ पर दियासलाई से कान खुजलाते हुए एक आदमी कह रहा था, “अरे इन लोगों का क्या है ? ये कमीने लोग रोटी के टुकड़े पर जान देते हैं। इनके लिए बेटा-बेटी खसम-लुगाई, ईमान-धर्म सब रोटी का टुकड़ा है।

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