61.
निम्नलिखित पद्यांश की ससंदर्भ व्याख्या कीजिए :
प्रेम-प्रीति से जो मिले, वासो मिलिए धाय ।
अंतर राखे जो मिले. तासो मिले बलाय ।
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jo pyar bhab se milte h use hemesha duaye multi h or jo b.ed bhav wali bhabi se milte ya rakhte h use hmesha blaye hi milti h
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प्रेम प्रीति से ………………… तासो मिलेँ बलाय।।
संदर्भ : - प्रस्तुत दोहा साहिब बंदगी द्वारा लिखा गया है l जिसके माध्यम से उन्होंने लोगों में प्रेम भाव उत्पन्न करने और आथित्य का पालन करने का आवन किया है l
व्याख्या : -जो प्रेम पूर्वक आधार सच्ची मोहब्बत से मिले उससे दौड़कर और गले लगाकर मिलना चाहिए, जब तक कि वहाँ आदर सत्कार हो रहा है । परन्तु जब आदर सत्कार में किसी भी प्रकार की कमी आ जाती है तो उसे हमेशा बलाय ही मिलनी चाहिए l और वहां से तुरन्त चल देना चाहिए l
- साहिब बंदगी आध्यात्मिक संस्था के संत सदगुरु मधु परमहंस जी द्वारा स्थापित एक संगठन भी है l
- संत सद्गुरु परमहंस जी को प्यार से साहिब जी के नाम से जाना जाता है l
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