A short paragraph on vidyalaya ki prarthana sabha in Hindi
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प्रार्थना मनुष्य की श्रेष्ठता की प्रतीक है क्योंकि यह उसके और परमात्मा के घनिष्ठ संबंधों को दर्शाती है । हरएक धर्म में प्रार्थना का बड़ा महत्व है । सभी धर्म-गुरुओं, ग्रंथों और संतों ने प्रार्थना पर बड़ा बल दिया है । उन्होंने प्रार्थना को मोक्ष का द्वार कहा है ।
प्रार्थना में परमेश्वर की प्रशंसा, स्तुति, गुणगान, धन्यवाद, सहायता की कामना, मार्गदर्शन की ईच्छा, दूसरों का हित चिंतन आदि होते हैं । प्रार्थना चुपचाप, बोलकर या अन्य किसी विधी से की जा सकती है । यह अकेले और सामूहिक, दोनों रूपों में होती है । यह ध्यान के रूप में या किसी धर्म ग्रंथ के पढ़ने के रूप में भी हो सकती है ।
प्रार्थना में माला, जाप, गुणगान पूजा संगीत आदि का सहारा लिया जाता है । बिना किसी ऐसे साधन के भी प्रार्थना की जा सकती है । प्रार्थना करने की कोई भी विधि अपनाई जा सकती है, और सभी श्रेष्ठ हैं । प्रार्थना एक तरह से परमेश्वर और भक्त के बीच बातचीत है । इस में भक्त भगवान को अपनी सारी स्थिति स्पष्ट कर देता है कुछ छिपाता नहीं ।
Answer:
प्रिय मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।
एक विद्यालय में प्रार्थना सभा का अपना महत्व होता है। प्रार्थना सभा में सभी विद्यार्थी मिलकर ईश्वर से प्रार्थना करते हैं। दिन का आरंभ बच्चों के लिए यहीं से होता है। प्रार्थना सभा में प्रार्थना करके बच्चों में ईश्वर के प्रति विश्वास जगाया जाता है। इससे मन को शांति मिलती है और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा भी मिलती है। प्रार्थना सभा में बच्चों को विशेष व्यायाम कराए जाते हैं, इसके साथ ही मुख्य समाचार पत्र पढ़कर उन्हें देश में घटने वाली घटनाओं से अवगत कराया जाता है तथा प्रधानाचार्य द्वारा महत्वपूर्ण घोषणा भी यहीं पर की जाती है। प्रयास किया जाता है कि यहाँ का वातावरण शांतिपूर्ण रहे। बच्चे नियमापूर्वक पंक्तियों में आते हैं, और अपने पहले से नियत स्थान पर पंक्ति लगाकर बैठ जाते हैं। हर कक्षा की मुख्य अध्यापिका अपनी कक्षा के साथ खड़ी होती है ताकि वह बच्चों को शांत रख सके।
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