a short story on a tortoise and rabbit in punjabi
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बहुत समय पहले एक जंगल में एक खरगोश बहुत से रहता था गर्व था कि वह बहुत तेज़ चलता है और यह रोज़ाना जताने की कोशिश करता था । एक दिन वह कछुआ के साथ दौड़ तय कर बैठा । उन्होंने शुरुआती बिंदु से दौड़ शुरू की। कुछ समय बाद खरगोश बहुत थक गया और सो गया। इस बीच कछुआ उस स्थान पर पहुंचा और खरगोश को जागृत कर दिया और पूछा, "क्या आप दौड़ जीतना नहीं चाहते हैं?" तब खरगोश बोला तुमसे पहले पहुंच जाऊ गा।पर फिर गेहरी नींद में सो गया और कछुआ जीत गया ।
Disclaimer: The answer is provided in Hindi. You may translate it.
Answer:
दो मित्र थे – खरगोश और कछुआ। खरगोश अपनी तेज़ तथा कछुआ अपनी धीमी चल के लिए परसिद्ध था। एक बार दोनों आपस में बात कर रहे थे। खरगोश कछुए की धीमी गति का मज़ाक उड़ाने लगा। कछुआ खरगोश की बातें सुनकर चिढ़ गया, मगर फिर भी बोला –“मैं धीमी गति से चलता हूं तो क्या हुआ, यदि हमारी आपसी दौड़ हो जाए तो मैं तुम्हें पराजित कर दूंगा।”
खरगोश और कछुआ के बिच वार्तालाप (Conversation Between Rabbit and Tortoise in Hindi)
कछुए की बातें सुनकर खरगोश आश्चर्य करने लगा, बोला -“मज़ाक मत करो।”
“मज़ाक नहीं, मैं गंभीर हूं। ” कछुआ बोला – “मैं निश्चित रूप से तुम्हें पराजित कर दूंगा।”
“अच्छा!” खरगोश कछुए की बातें सुनकर हँसता हुआ बोला -“तो फिर दौड़ हो जाए। हम एक रेफरी रख लेंगे और दौड़ का मैदान निश्चित कर लेंगें।”
कछुआ और खरगोश की कहानी – (Tortoise and Rabbit Story in Hindi)
कछुआ खरगोश की बात से राज़ी हो गया। दूसरे दिन चूहे को रेफरी नियुक्त किया गया। नदी के किनारे पड़ने वाले एक मैदान को दौड़ के लिए चुना गया। वहाँ से एक मील दूर स्थित बरगद के पेड़ को वह स्थान माना गया जहाँ दौड़ समाप्त होगी। दौड़ आरम्भ होने से पहले रेफरी चूहा आया। उसने दोनों को अपने स्थान पर खड़ा किया – “हां! सावधान हो जाओ….और….दौड़ो।” चूहा बोला। दौड़ आरम्भ हो गई।
खरगोश पालक झपकते ही बिजली की गति से दौड़ा और बहुत दूर निकल गया। कछुए की चाल देखते ही बनती थी। वह धीमी गति से चल रहा था। खरगोश तेज़ी से दौड़ रहा था। लगभग आधा मील पहुँच कर वह रुका और पीछे मुड़कर देखा कि आखिर कछुआ गया कहां। उसे कछुआ कहीं नज़र नहीं आया। वह सोचने लगा –‘अभी तो उसका दूर दूर तक पता नहीं है। क्यों न तब तक थोड़ी सी घास खा लूं और आराम कर लूं। जब कछुआ नज़र आएगा तो मैं उठकर दोबारा तेज़ी से दौड़ लूंगा।’ खरगोश ने तब थोड़ी हरी घास खाई। पानी पिया और एक पेड के नीचे लेटकर आराम करने लगा।
Hare and Tortoise Story in Hindi
खरगोश लेटकर सोना तो नहीं चाहता था, परंतु नदी किनारे से आती ठंडी हवा ने उसे गहरी नींद सुला दिया। खरगोश खर्राटे लेकर सोता रहा।
दूसरी और कछुआ धीमी गति से मगर लगातार बिना रुके अपनी मंज़िल की ओर बढ़ता जा रहा था।
Kachua Aur Khargosh KI Kahani in Hindi in Short
खरगोश बहुत देर तक सोता रहा। जब वह जागा तो उसे कछुआ कहीं नज़र नहीं आया। चूंकि वह खूब सो चूका था, इसलिए उठते ही बहुत फुर्ती और तेज़ी से बरगद के पेड़ की ओर दौड़ना लगा। मगर पेड़ के पास पहुंचते ही मानो उस पर बिजली-सी-गिरी। वह यह देखकर दंग रह गया कि कछुआ तो वहां पहले से ही उपस्थित था। खरगोश दौड़ में हार चूका था। उसने भी हंसकर खेल भाव से अपनी पराजय स्वीकार कर ली। उसने दोबारा कभी कछुए का मजाक उड़ाने का प्रयत्न