A speech based on the chapter 'Samsar Pusthak hae'written by Jawaharlal Nehru in hindi
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'संसार को जानने के लिए सिर्फ दूसरों की लिखी किताबें नहीं, इस संसार रूपी पुस्तक को पढ़ना होगा'- नेहरू
Updated on: May 27, 2017, 1:13 PM IST
news18 hindi
    

(पिता नेहरू का खत बेटी इंदिरा के नाम)जब तुम मेरे साथ होती हो तो अकसर मुझसे काफी बातें पूछा करती हो. मैं तुम्हारे सवालों का जवाब देने की कोशिश करता हूं. लेकिन, अब, जब तुम मसूरी में हो और मैं इलाहाबाद में, हम दोनों उस तरह बातें नहीं कर सकते. इसलिए मैंने सोचा कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन छोटे-बड़े देशों की, जो इन दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कहानियां लिखा करूं. तुमने हिंदुस्तान और इंग्लैंड का कुछ हाल का इतिहास में पढ़ा है. लेकिन इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है. अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक तो तुम्हें सब देशों का और उन सब जातियों के बारे में जानना होगा, जो इसमें बसी हुई हैं. सिर्फ उस एक छोटे-से देश का नहीं, जिसमें तुम पैदा हुई.
मुझे मालूम है कि इन छोटी-छोटी चिट्ठियों में मैं तुम्हें थोड़ी-सी बातें ही लिख सकता हूं. लेकिन मुझे उम्मीद है कि इन थोड़ी-सी बातों को भी तुम शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि ये दुनिया एक है और इस दुनिया में रहने वाले दूसरे लोग हमारे भाई-बहन हैं. जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम दुनिया और उसके इंसानों के बारे में मोटी-मोटी किताबों में पढ़ोगी. उसमें तुम्हें जितना आनंद मिलेगा, उतना किसी कहानी या उपन्यास में भी न मिला होगा.
यह तो तुम जानती ही हो कि यह धरती लाखों करोड़ों वर्ष पुरानी है और बहुत दिनों तक यहां कोई इंसान नहीं था. इंसानों के पहले सिर्फ जानवर थे और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था, जब इस धरती पर कोई ऐसी चीज न थी, जिसमें जीवन हो. आज जब यह दुनिया हर तरह के पशुओं और इंसानों से भरी हुई है, उस समय की कल्पना भी मुश्किल है, जब यहां कुछ नहीं था. लेकिन विज्ञान ने इस विषय पर खूब सोचा, पढ़ा है और लिखा है. एक समय ऐसा था, जब यह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जीव नहीं रह सकता था. और अगर हम उनकी किताबें पढ़ें, पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों को गौर से देखें तो हमें पता चलेगा कि ऐसा समय सचमुच था.तुम इतिहास किताबों में ही पढ़ सकती हो. लेकिन पुराने जमाने में तो आदमी पैदा ही न हुआ था, किताबें कौन लिखता? तब हमें उस जमाने की बातें कैसे मालूम हों? यह तो नहीं हो सकता कि हम बैठे-बैठे हर एक बात अपने मन से सोचकर निकाल लें. लेकिन ऐसा होता तो कितने मजे की बात होती, क्योंकि हम जो चीज चाहते सोच लेते और सुंदर परियों की कहानियां गढ़ लेते. लेकिन जो कहानी देखे बिना ही गढ़ ली जाए, वह ठीक कैसे हो सकती है? लेकिन खुशी की बात है कि उस पुराने जमाने की लिखी हुई किताबें न होने पर भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे हमें उतनी ही बातें मालूम होती हैं, जितनी किसी किताब से होतीं. ये पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियां, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियां और इसी तरह की और भी कितनी चीजें हैं, जिनसे हमें दुनिया के बारे में पता चल सकता है. मगर हाल जानने का असली तरीका यह नहीं है कि हम केवल दूसरों की लिखी हुई किताबें पढ़ लें, बल्कि खुद संसार रूपी इस पुस्तक को पढ़ें. मुझे उम्मीद है कि पत्थरों और पहाड़ों को पढ़कर तुम थोड़े ही दिनों में उन्हें समझना सीख जाओगी.
'संसार को जानने के लिए सिर्फ दूसरों की लिखी किताबें नहीं, इस संसार रूपी पुस्तक को पढ़ना होगा'- नेहरू
Updated on: May 27, 2017, 1:13 PM IST
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(पिता नेहरू का खत बेटी इंदिरा के नाम)जब तुम मेरे साथ होती हो तो अकसर मुझसे काफी बातें पूछा करती हो. मैं तुम्हारे सवालों का जवाब देने की कोशिश करता हूं. लेकिन, अब, जब तुम मसूरी में हो और मैं इलाहाबाद में, हम दोनों उस तरह बातें नहीं कर सकते. इसलिए मैंने सोचा कि कभी-कभी तुम्हें इस दुनिया की और उन छोटे-बड़े देशों की, जो इन दुनिया में हैं, छोटी-छोटी कहानियां लिखा करूं. तुमने हिंदुस्तान और इंग्लैंड का कुछ हाल का इतिहास में पढ़ा है. लेकिन इंग्लैंड केवल एक छोटा-सा टापू है और हिंदुस्तान, जो एक बहुत बड़ा देश है, फिर भी दुनिया का एक छोटा-सा हिस्सा है. अगर तुम्हें इस दुनिया का कुछ हाल जानने का शौक तो तुम्हें सब देशों का और उन सब जातियों के बारे में जानना होगा, जो इसमें बसी हुई हैं. सिर्फ उस एक छोटे-से देश का नहीं, जिसमें तुम पैदा हुई.
मुझे मालूम है कि इन छोटी-छोटी चिट्ठियों में मैं तुम्हें थोड़ी-सी बातें ही लिख सकता हूं. लेकिन मुझे उम्मीद है कि इन थोड़ी-सी बातों को भी तुम शौक से पढ़ोगी और समझोगी कि ये दुनिया एक है और इस दुनिया में रहने वाले दूसरे लोग हमारे भाई-बहन हैं. जब तुम बड़ी हो जाओगी तो तुम दुनिया और उसके इंसानों के बारे में मोटी-मोटी किताबों में पढ़ोगी. उसमें तुम्हें जितना आनंद मिलेगा, उतना किसी कहानी या उपन्यास में भी न मिला होगा.
यह तो तुम जानती ही हो कि यह धरती लाखों करोड़ों वर्ष पुरानी है और बहुत दिनों तक यहां कोई इंसान नहीं था. इंसानों के पहले सिर्फ जानवर थे और जानवरों से पहले एक ऐसा समय था, जब इस धरती पर कोई ऐसी चीज न थी, जिसमें जीवन हो. आज जब यह दुनिया हर तरह के पशुओं और इंसानों से भरी हुई है, उस समय की कल्पना भी मुश्किल है, जब यहां कुछ नहीं था. लेकिन विज्ञान ने इस विषय पर खूब सोचा, पढ़ा है और लिखा है. एक समय ऐसा था, जब यह धरती बेहद गर्म थी और इस पर कोई जीव नहीं रह सकता था. और अगर हम उनकी किताबें पढ़ें, पहाड़ों और जानवरों की पुरानी हड्डियों को गौर से देखें तो हमें पता चलेगा कि ऐसा समय सचमुच था.तुम इतिहास किताबों में ही पढ़ सकती हो. लेकिन पुराने जमाने में तो आदमी पैदा ही न हुआ था, किताबें कौन लिखता? तब हमें उस जमाने की बातें कैसे मालूम हों? यह तो नहीं हो सकता कि हम बैठे-बैठे हर एक बात अपने मन से सोचकर निकाल लें. लेकिन ऐसा होता तो कितने मजे की बात होती, क्योंकि हम जो चीज चाहते सोच लेते और सुंदर परियों की कहानियां गढ़ लेते. लेकिन जो कहानी देखे बिना ही गढ़ ली जाए, वह ठीक कैसे हो सकती है? लेकिन खुशी की बात है कि उस पुराने जमाने की लिखी हुई किताबें न होने पर भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे हमें उतनी ही बातें मालूम होती हैं, जितनी किसी किताब से होतीं. ये पहाड़, समुद्र, सितारे, नदियां, जंगल, जानवरों की पुरानी हड्डियां और इसी तरह की और भी कितनी चीजें हैं, जिनसे हमें दुनिया के बारे में पता चल सकता है. मगर हाल जानने का असली तरीका यह नहीं है कि हम केवल दूसरों की लिखी हुई किताबें पढ़ लें, बल्कि खुद संसार रूपी इस पुस्तक को पढ़ें. मुझे उम्मीद है कि पत्थरों और पहाड़ों को पढ़कर तुम थोड़े ही दिनों में उन्हें समझना सीख जाओगी.
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