a speech on Republic Day in hindi for 2 mins
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Step-by-step explanation:
सबसे पहले सभी को मेरी तरफ से सादर प्रणाम।
हमारे गणतंत्र दिवस का महत्व क्या है?
पूरे भारत में लोग 26 जनवरी को देश का गणतंत्र दिवस मनाते हैं। यह दिन आधिकारिक राजपत्रित अवकाश है। यह याद करने का दिन है कि भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिससे देश एक स्वतंत्र गणराज्य बना।
इसे गणतंत्र दिवस क्यों कहा जाता है?
26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ। 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में चुना गया था क्योंकि यह 1929 में इसी दिन भारतीय स्वतंत्रता (भारतीय स्वराज) की घोषणा की गई थी, जो डोमिनियन के विपरीत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा घोषित किया गया था।
भाषण के दौरान, इन बातों को विशेष रूप से कहें
हमारे संविधान के बनने की कहानी भी कोई कम दिलचस्प नहीं है। हर कोई जानता है कि यह 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों में तैयार किया गया था।
- प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने संविधान की मूल प्रति लिखी। यह पांडुलिपि हस्तलिखित प्रारूप में थी।
- संविधान लिखने में 6 महीने लगे। कहीं भी टाइपिंग या प्रिंटिंग का कोई फायदा नहीं था।
- जब 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था, तब इसमें कुल 395 लेख, 8 अनुसूचियाँ थीं। 22 भाग थे।
संविधान निर्माण समिति में कुल 284 सदस्य थे। उन्होंने 24 नवंबर 1949 को संविधान पर हस्ताक्षर किए। इन सदस्यों में 15 महिलाएं थीं।
- हमारे संविधान की हस्तलिखित पांडुलिपि एक विशेष प्रकार के चर्मपत्र पर तैयार की गई थी। कहा जाता है कि यह 1 हजार से अधिक वर्षों तक सुरक्षित रह सकता है। यह सूक्ष्मजीवों या दीमक से कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। पांडुलिपि में पृष्ठों की संख्या 234 है, जिसका वजन कुल 13 किलोग्राम है।
गणतंत्र दिवस का इतिहास और रोचक बातें
गणतंत्र दिवस (Republic Day) भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है। जिसे हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन साल 1950 को भारत सरकार अधिनियम 1935 को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया। एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और कानून स्थापित करने संविधान को 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान सभा ने अपनाया था। जबकि 26 जनवरी 1950 को लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया। इसके बाद से हर साल इस दिन गणतंत्र दिवस (Republic Day) मनाया जाता है। इस दिन देश में राष्ट्रीय अवकाश भी रहता है।
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ राष्ट्र ध्वज को फहराकर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया। इस मौके पर उन्होंने देश के नागरिकों को विशेष संदेश में कहा था कि हमें आज के दिन के शांतिपूर्ण एक ऐसे सपने को साकार करने के लिए खुद को समर्पित करना चाहिए। जिसने हमारे राष्ट्र पिता और स्वतंत्रता संग्राम के कई नेताओं और सैनिकों को अपने देश में एक वर्गहीन, सहकारी, मुक्त और प्रसन्नचित्त समाज की स्थापना के सपने को साकार करने की प्रेरणा मिली। हमें इस दिन यह याद रखना चाहिए कि आज का दिवस आनंद मनाने की तुलना में समर्पण का दिन है। श्रमिकों, कामगारों परिश्रमियों और विचारकों को पूरी तरह से स्वतंत्र, खुश और सांस्कृतिक बनाने के भव्य कार्य के प्रति समर्पण करने का दिन है।
क्या था पूर्ण स्वराज दिवस
31 दिसंबर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की लाहौर में एक बैठक हुई थी। जिसकी अध्यक्षता पंडित जवाहर लाल नेहरू ने की थी। उस बैठक में मौजूद लोगों ने 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मानने के लिए शपथ ली थी, ताकि अंग्रेजों से पूर्ण आजादी के सपने पूरे हो सके। लाहौर सत्र में नागरिक अवज्ञा आंदोलन का मार्ग प्रशस्त किया गया। यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया जाएगा। कई भारतीय राजनीतिक दलों और क्रांतिकारियों ने सम्मान और गर्व से इस दिन को मनाने के लिए हामी भरी। भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। जिसका गठन भारतीय नेताओं और ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के बीच हुआ। इस सभा का उद्देश्य देश को एक संविधान प्रदान करना था। कई सिफारिशों पर चर्चा, विवाद और संविधान को अंतिम रूप देने से पहले कई बार संशोधन किया गया। आखिरकार तीन साल बाद 26 नवंबर 1949 को आधिकारिक रूप से अपनाया गया। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान प्रभावी हुआ।
गणतंत्र दिवस से जुड़ी कुछ रोचक बातें
- 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत का संविधान लागू हुआ था।
- गणतंत्र दिवस (Republic Day) के दिन राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दी जाती है।
- 1955 में पहली बार राजपथ परेड में पाकिस्तान के पहले गर्वनर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद मुख्य अतिथि थे।
- पहले गणतंत्र दिवस की परेड मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में हुई थी।
- भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जिसे दिन में पढ़ा नहीं जा सकता।
- भारतीय संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां हैं।
- गणतंत्र दिवस के दिन अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे सम्मान दिए जाते हैं।
- साल 1950 को पहले गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो मुख्य मेहमान थे।
- अबतक साल 1951, 1952, 1953, 1956, 1957, 1959, 1962, 1964, 1966,1967, 1970 में कोई विदेश मेहमान नहीं आए थे। इस साल 2021 में भी कोरोना वायरस के कारण कोई मुख्य अतिथि गणतंत्र दिवस पर मेहमान नहीं होंगे।
- साल 2014 के गणतंत्र दिवस (Republic Day) पर महाराष्ट्र सरकार के प्रोटोकॉल विभाग ने पहली बार मुंबई के मरीन ड्राईव पर परेड आयोजित की थी।
धन्यवाद
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