A story on the topic shakti se badi yukti
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एक बार बादशाह अकबर के दरबार में एक पहलवान आया और उसने बादशाह का अंगरक्षक बनने की इच्छा प्रकट की। वह बहुत मजबूत कद काठी का आदमी था। उसने दावा किया कि वह बहुत बहादुर भी हैं वह सूंड पकड़कर हाथी को भी बिठा सकता है। मुझे बादशाह अपना अंगरक्षक बना ले तो बहुत अच्छा निर्णय होगा।
अकबर भी उसे देखकर प्रभावित हुआ और उसने बीरबल से कहा कि इसकी परीक्षा ली जाये कि यह व्यक्ति अंगरक्षक बनने के योग्य है भी कि नही ? बीरबल ने उसे पहलवान को चुनौती दी कि ये मेरा रुमाल है क्या तुम इसे उस सामने दिख रही दीवार के पार फेंक सकते हो।
उस व्यक्ति ने कई बार प्रयास किया किन्तु सामने की ओर से आ रही हवा कि कारण वह रुमाल ज्यादा दूरी तक नहीं जा पा रहा था।
अब बीरबल ने कहा कि देखों मैं यह रुमाल उस दीवार के पार फेंक कर दिखा सकता हूं । बीरबल ने रुमाल को एक छोटे पत्थर के चारों ओर लपेटा और उसे दीवार के पार फेंक दिया।
बीरबल ने कहा कि बादशाह का अंगरक्षक ऐसा होना चाहिये जिसमें न केवल बल हो बल्कि वह चतुर भी हो।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि शक्ति से बड़ी युक्ति होती है।
शक्ति से बड़ी युक्ति
एक गाँव में अजय और विजय नाम केदो दोस्त रहते थे | दोनों ही घनिष्ठ मित्र थे व हमेशा साथ में मिल कर कार्य करते थे | उनके गाँव में एक बहुत बड़ा साहूकार रहा करता था उसने अजय की सारी सम्पति हथिया ली व देने से इनकार कर दिया | इस पर अजय ने बलपूर्वक अपनी सम्पति बापिस लेना चाहा परन्तु उस साहूकार के गुंडों ने उसे बहुत पीटा व बाहर फैंक दिया | जब इस बात का पता विजय को चला तो उसका भी बहुत खून खौला पर उसने शान्ति से सोचा व भेष बदल कर एक शहरी करोडपति बनकर वहां गया व उस सम्पति का सौदा कर लिया रात को उसके घर से पैसे चुरा कर अगले दिन उसी को दे दिए व अजय की सम्पति बापिस पा ली |
शिक्षा: इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हर कार्य बलपूर्वक नहीं किया जा सकता युक्ति में ज्यादा ताकत होती है |