India Languages, asked by asthajaino5861, 10 months ago

(आ) अधोलिखितकृदन्तपदेषु मूलधातुं प्रत्ययं च पृथक् कृत्वा लिखत- मूलधातुः प्रत्ययः(क) कर्तव्यः ................ + .................(ख) भोजनम्. ................ + .............. (ग) आस्थितः आ + .............. (घ) स्मृतः .............. + .............(ङ) समीक्ष्य सम् + ............. (च) आक्रम्य आ(छ) जननम्

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Answered by roshinik1219
1

मूलधातुं प्रत्ययं

(क) कर्तव्यः       =       कर्तव्  + ल्‍यप्

(ख) भोजनम्.     =       भोज्    +   ल्‍युट ( यु  = अन)

(ग) आस्थितः     =      आ + स्थ + इतच्

(घ) स्मृतः           =       स्मृ + शतृ

(ङ) समीक्ष्य       =       सम् +  ईक्ष् + ल्‍यप्

(च) आक्रम्य       =      आ + कृ  + मयट  (मय)

(छ) जननम्        =       जन  +   ल्‍युट ( यु  = अन)

Answered by nikitasingh79
2

   मूलधातुः      प्रत्ययः

(क) कर्तव्यः  →   कृ  + तव्यत्

 

(ख) भोजनम्.  → भुज्    + ल्‍युट

 

(ग) आस्थितः  →   आ + स्थ + क्त  

 

(घ) स्मृतः  →   स्मृ + क्त

 

(ङ) समीक्ष्य  →   सम् +  ईक्ष् + ल्‍यप्

 

(च) आक्रम्य  →   आ + क्रम्  + ल्‍यप्

 

(छ) जननम्  →   जन्  +   ल्‍युट्  

 

 

 

कुछ अतिरिक्त जानकारी :

•प्रत्यय : शब्दों के अर्थों में परिवर्तन अथवा कुछ विशेषता लाने के लिए उनके परे जो वर्ण या शब्दांश जोड़े जाते हैं उन्हें प्रत्यय कहते हैं।

• संस्कृत में इनका विभाजन पांच भागों में किया गया है।

तिड् प्रत्यय , सुप्  प्रत्यय , कृत् प्रत्यय, तद्धित प्रत्यय , स्त्री प्रत्यय ।

•कृत् प्रत्यय : कृत् प्रत्यय केवल धातु से ही जोड़े जाते हैं। इन प्रत्ययों को जोड़ने से जो शब्द बनता है उसे कृदन्त कहते हैं।

•कृदन्त प्रत्यय निम्न प्रकार के होते हैं :

क्त्वा  , तुमुन् , ल्यप् ।

 

 

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(आ) 'व्यायामस्य लाभाः' इति विषयमधिकृत्य पञ्चवाक्येषु 'संस्कृतभाषया' एकम्अनुच्छेदं लिखत।

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(आ) उदाहरणमनुसृत्य वाच्यपरिवर्तनं कुरुत-

कर्मवाच्यम् कर्तृवाच्यम्

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