aadimanav Par rahan sahan ke vichar in hindi language
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आदिमानव के रहन सहन पर विचार
जब सभ्यता की शुरुआत नहीं हुई थी ,लोग जंगलों में जैसे तैसे जीवन यापन कर रहे थे वही तो आदि मानव थे I उन्हें ये कहाँ पता था की खाना कैसे बनता है और कैसे खाया जाता है उन्हें तो जो भी कंद मूल मिलता जो भी फल मिलते वे लोग यूँ ही उसे खा जाते Iवस्त्र का उस समय कोई स्थान नहीं था सभ्यता थोड़ी विकसित हुई ,तो उन्होंने पेड़ की छाल को अपना वस्त्र बनाया Iठण्ड से बचने के लिए बड़े बड़े पेड़ की खोज में चले जाते थे जब जंगलों में स्वयं आग लग जाती थी I उस आग से जलकर कुछ फल पाक जाते थे या कोई चिड़िया झुलस जाती थी Iउन्होंने इस पके हुए फल को या मांस को खाकर देखा तो अनुभव किया कि कच्चे से अच्छा पका हुआ खाना है I
फिर चकमक पत्थर से आग जला कर उन्होंने खुद को सेकना और कुछ पकाकर खाना सीखा Iधीरे धीरे आदिमानव ने ही भोजन और रहने का प्रबंध करना सीखा और यह उन्ही आदिमानवों की दें है की सभ्यता का क्रमिक विकास होता गया और आज हम सारी सुख सुविधाओं से संपन्न होकर जीवन यापन कर रहे हैं I
शुरुआत जभी भी होती है ,चकित होता है संसार .
वैज्ञानिक हो या अदि मानव .देखें उनके ज्वलित विचार II