Hindi, asked by piyushanilsingh44, 2 months ago

* आईने में मुँह देखना​

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Answered by ranveerchoudhary01
1

Answer:

sorry

Explanation:

प्रस्तुत कववता “ वीर” क्जसके कवव का नाम रामधार लसंह ददनकर है, वह एक ओजस्वी वीर रस

प्रधान कववताओं के रिनाकार है। उन्होंने इस कववता में उद्र्मी पुरुषों की व्र्ाख्र्ा करते हुए कहा है

कक वीर पुरुष वह होते हैंजो अपने ननरंतर प्रर्ास से असंभव कार्य को भी संभव कर देते हैं। पत्र्र

जो ठोस रूप है और क्जस में पानी का समावेश नगण्र् है, वैसे जगह से भी वीर पुरुष उद्र्म करके

पानी अर्ायत वह तत्व जो उसमें ननदहत नह ं है ,उसको भी िाहर ननकाल सकते । तात्पर्य र्ह है कक

ककतना भी दष्ुकर कार्य हो उसको वह साध्र् कर लेते हैं।

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