आपके खयाल से पढाई - लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया सही था या लेखक के पिता का ? तर्क सहित उत्तर दें।
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‘जूझ’ कहानी में हमारे विचार से पढ़ाई-लिखाई के संबंध में लेखक और दत्ता जी राव का रवैया बिल्कुल सही था। लेखक का पढ़ाई के संबंध में जो भी दृष्टिकोण था वह यथार्थ के अधिक निकट था। लेखक जानता था कि खेती करके उसका गुजारा नहीं होने वाला। यदि वह पढ- लिख लेगा तो उसे कोई नौकरी अवश्य मिल जाएगी और उसकी गरीबी दूर हो सकती है। वह नौकरी लग जाएगी तो चार पैसे भी हाथ में आएंगे और तब वह कुछ अन्य कारोबारी भी कर सकता है।
दत्ता जी राव का रवैया भी इस संबंध में बिल्कुल ठीक है। उन्होंने लेखक के पिता को धमकाकर लेखक को पाठशाला भेजने के लिए मजबूर किया और लेखक की पढ़ाई का खर्चा स्वयं उठाने तक को कह दिया।
लेखक के पिता का रवैया बिल्कुल भी ठीक नहीं था, क्योंकि उसका रवैया पढ़ाई के प्रति एकदम निराशाजनक था। वह पढ़ने के बजाये खेती के काम को ज्यादा महत्वपूर्ण समझता था।‘ वो अपने लेखक से कहता तेरे ऊपर पड़ने का भूत सवार हुआ है। मुझे मालूम है कि तू बारिस्टर नहीं होने वाला पढ़ लिखकर तू। उसका यह कथन पढ़ाई के विषय में उसकी नकारात्मक सोच को उजागर करते हैं. असल में वह अपनी अय्याशी के लिए अपने बच्चों को खेती के काम में झोंकना चाहता था।