आशय लिखिए :
(अ) "ऊँची हुई मशाल हमारी......हमारा घर है।"
Answers
ऊंची हुई मशाल हमारी,
आगे कठिन डगर है,
शत्रु हट गया लेकिन,
उसकी छायाओं का डर है,
शोषण से मृत है समाज,
कमजोर हमारा घर है।
यह पंक्तियां ‘गिरिजाकुमार माथुर’ द्वारा रचित “15 अगस्त” नामक कविता से ली गईं हैं। इस कविता के माध्यम से कवि ने स्वतंत्रता के उत्साह को अभिव्यक्त किया है।
जब भारत स्वतंत्र हो गया तो वर्षो की गुलामी से आजाद होकर पूरे देश में उल्लास का वातावरण छाया हुआ था और हर किसी का चेहरा स्वतंत्रता की चमक से दमक रहा था। कवि इस नवोल्लास से ओत-प्रोत देशवासियों तथा सैनिकों को सजग और जागरूक रहने के लिए प्रेरित कर रहा है और उनका आवाहन कर रहा है।
कवि कहता है कि अब हमारी मशाल अर्थात हमारा सम्मान ऊंचा हो गया है, लेकिन आगे की राह बड़ी मुश्किल है। भले ही हम ने अंग्रेजों की गुलामी से आजादी पा ली हो, अंग्रेज हमें छोड़ कर चले गए हों। लेकिन उनके द्वारा छोड़ी गए कुछ स्मृतियों का डर है। हमें उन सभी स्मृतियों से मुक्ति पानी है। अंग्रेजों द्वारा वर्षों तक निरंतर शोषण की जाने से हमारे समाज में जो मृतक के समान हो गया है, उसे हमें मजबूत करना है। अभी हमारा देशा अर्थात हमारा घर कमजोर है, इसे हमें संवारना है।
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