आत्मत्राण' कविता का संदेश (80-100 शब्दों में) अपने शब्दों में लिखिए।
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आत्मत्राण’ कविता की रचना ‘गुरुदेव रविंद्र नाथ ठाकुर’ ने की है। ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि ने मनुष्य को भगवान के प्रति विश्वास कायम रखने का संदेश दिया है। कवि कहते हैं कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थितियां क्यों न हों, कितना भी कठिन समय क्यों ना हो, जीवन में लाख विपदाएं आए परंतु हमें भगवान के प्रति अपना विश्वास नहीं खोना चाहिए और सदैव भगवान के प्रति अपनी आस्था मजबूत रखनी चाहिए। अक्सर ऐसा होता है कि हमारे जीवन में कोई दुख आता है और शीघ्र ही इस दुख के कारण हमारा
भगवान पर से विश्वास उठ जाता है और हम भगवान को उस दुख के लिए दोष देने लगते हैं, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। भगवान उन छोटे-मोटे दुखों के माध्यम से हमारी सहनशक्ति और विश्वास की परीक्षा लेता है। यदि हम भगवान के प्रति अपना विश्वास बनाए रखें तो भगवान अंत में हमारी सुनता ही है। भगवान हमें दुखों और कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। हमारा विश्वास हमारे मन की आस्था ही हमारा भगवान है। यदि हमारा विश्वास मजबूत रहेगा तो हम असंभव कार्य को भी संभव बना सकते हैं। कवि का आशय यह है कि भगवान पर सदैव विश्वास बनाए रखना ही मनुष्य का धर्म है।
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lol boka doka mirgi it'll keep user ish ish