आतुरस्य मित्रं कः भवति ( अस्ति ) ?
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Explanation:
आतुरस्य च किं मित्रं किस्विन्मित्रं मरिष्यतः।।3। ... भवति? (घ) सुदुर्जयः शत्रुः कः अस्ति? (ड.) ...
आतुरस्य मित्रं भिषक् अस्ति |
अर्थात
रोगी का मित्र वैद्य होता है |
Explanation:
विद्या प्रवसतो मित्रं, भार्या मित्रं गृहे सत: ||
आतुरस्यभिषक् मित्रं, दानं मित्रं मरिष्यत: ||
अर्थात्
युधिष्ठिर, यक्ष के प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहते हैं-
विद्या प्रवास में रहने वाले की मित्र होती है |
घर में पत्नी मित्र होती है |
रोगी का मित्र वैद्य होता है |
मरने वाले का मित्र दान होता है |
More Question:
निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ सहित हिन्दी में व्याख्या कीजिए और उसका काव्यगत-सौन्दर्य भी स्पष्ट कीजिए—
मानुष हौं तो वही रसखानि, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन ।
जौ पसु हौं तो कहा बस मेरौ, चरौ नित नंद की धेनु मँझारन ।।
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यों कर छत्र पुरंदर-धारन ।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदी-कूल कदंब की डारन ।।
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