Hindi, asked by veenasonubishnoi, 5 months ago

आदिकालीन रासो काव्य का सविस्तार वर्णन कीजिए​

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Answered by anitasingh30052
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Answer:

रासो काव्य हिन्दी के आदिकाल में रचित ग्रन्थ हैं। इसमें अधिकतर वीर-गाथाएं हीं हैं। पृथ्वीराजरासो प्रसिद्ध हिन्दी रासो काव्य है। रास साहित्य जैन परम्परा से संबंधित है तो रासो का संबंध अधिकांशत: वीर काव्य से, जो डिंगल भाषा में लिखा गया

रासो साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ वीरगाथात्मक काव्य की संपादित करें

इन रचनाओं में कवियों द्वारा अपने आश्रयदाताओं के शौर्य एवं ऐश्वर्य का अतिश्योक्तिपूर्ण वर्णन किया गया है।

यह साहित्य मुख्यतः राव (भाट) चारण कवियों द्वारा रचा गया।

इन रचनाओं में ऐतिहासिकता के साथ-साथ कवियों द्वारा अपनी कल्पना का समावेश भी किया गया है। अधिकांश रचनाएं संदिग्ध एवं अर्धप्रामाणिक मानी जाती हैं।

इन रचनाओं में युद्धप्रेम का वर्णन अधिक किया गया है।

इन रचनाओं में वीर रस व शृंगार रस की प्रधानता है।

इन रचनाओं में डिंगल और पिंगल शैली का प्रयोग हुआ है।

इनमें विविध प्रकार की भाषाओं एवं अनेक प्रकार के छंदों का प्रयोग किया गया है।

इन रचनाओं में चारण कवियों की संकुचित मानसिकता का प्रयोग देखने को मिलता है।

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